भोपाल। आईपीएस पास कर लेने के बाद किसी भी आईपीएस को एमपी कैडर आसानी से नहीं मिलेगा। उसे एक और परीक्षा देनी होगी। यह परीक्षा हिंदी में होगी, फिर चाहे केंडिडेट किसी भी भाषा से आता हो। इसे पास करने के बाद ही वो परमानेंट हो पाएगा।
राज्य सरकार ने पुलिस अफसरों के लिए नए प्रावधान लागू किए हैं, जिसके मुताबिक मध्यप्रदेश में पदस्थ होने वाले आईपीएस अफसरों को ट्रेनिंग के बाद लिखित परीक्षा देना होगी, जिसमें मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था, आचरण नियम व कामकाज की प्रक्रिया से संबंधित सवाल होंगे। इस संबंध में गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश कैडर में देश के विभिन्न राज्यों के निवासी अफसर पदस्थ होते हैं। उन्हें मध्यप्रदेश की प्रशासनिक प्रक्रियाओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। इसी तरह राज्य की कानून व्यवस्था से अवगत कराने के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। आईपीएस अफसरों को यह परीक्षा सहायक पुलिस अधीक्षक स्तर पर जिलों में ट्रेनिंग करने के तत्काल बाद ही पुलिस अकादमी भौंरी में देना होगी।
खास बात यह है कि गैर हिंदी भाषी अफसरों को हिंदी का प्रश्न पत्र भी हल करना होगा। इसके लिए मापदंड तय किया गया है जिन अफसरों ने मैट्रिक या उसके समकक्ष परीक्षा हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण ना की हो या फिर उनकी मातृभाषा हिंदी नहीं हो।
चार मौके मिलेंगे
नए नियम के मुताबिक यदि अफसर परीक्षा में फेल हो जाते हैं तो उनके लिए छह माह बाद पुन: परीक्षा आयोजित की जाएगी। उन्हें ऐसे चार मौके दिए जाएंगे। बावजूद इसके वे लिखित परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं तो उनकी दूसरी वेतन वृद्धि रोक दी जाएगी। ट्रेनिंग के बाद एक साल की सेवा पूरी होने पर उन्हें पहली वेतन वृद्धि मिल जाती है। यह परीक्षा एक साल बाद ही होगी। इसलिए दूसरी वेतन वृद्धि रोकने का प्रावधान किया गया है।
उपपुलिस अधीक्षकों को भी देना होगी परीक्षा
मप्र लोक सेवा आयोग से चयनित उप पुलिस अधीक्षकों को भी यह परीक्षा पास करना अनिवार्य होगी। ये अफसर परीक्षा में फेल हुए तो उन्हें परमानेंट नहीं किया जाएगा। हालांकि दूसरी वेतन वृद्धि रोके जाने का प्रावधान इन अफसरों पर लागू नहीं होगा।