छतरपुर। शिक्षा विभाग में जनपद शिक्षा केंद्र और जन शिक्षा केंद्र में बीएसी व सीएसी की पदस्थापना मामले में घोटाला सामने आया है। 12 सितम्बर को जारी हुए आदेश पर कलेक्टर डॉ. मसूद अख्तर के हस्ताक्षर हैं जबकि वो तो 1 सितम्बर को ही रिलीव होकर जा चुके हैं। उनका तबादला हो गया है और उनकी जगह रमेश भंडारी 1 सितम्बर से छतरपुर के कलेक्टर हैं।
पूरे मामले में डीपीसी सुरेंद्र सक्सेना छतरपुर जांच की जद में आ गए हैं। आरोप है कि आदेश पर कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह आदेश नियमविरुद्ध भी है अत: माना जा रहा है कि इस पर कलेक्टर ने हस्ताक्षर नहीं किए होंगे।
राज्य शिक्षा केंद्र के नियमानुसार जनपद शिक्षा केंद्रों में विकासखंड अकादमिक समन्वयक और जनशिक्षा केंद्र में जनशिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गई थी, प्रतिनियुक्ति समाप्त होने पर शिक्षकों को काउंसलिंग के माध्यम से मूल विभाग में भेजे जाने का प्रावधान है, लेकिन जिला परियोजना समन्वयक ने आदेश क्रमांक 5414/स.शि.अ/स्था/2016 दिनांक12/09/2016 द्वारा सीधे मूल पदांकित संस्थान में मुक्त करने के निर्देश दिए गए है, जो नियम के विरुद्ध है।
अख्तर ने कहा: जांच कराइए
इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर डा. मसूद अख्तर का कहना है कि वे रिलीव हो चुके हैं। डीपीसी ने कैसा आदेश निकाला है उन्हें जानकारी नहीं है। कैसे और किसने हस्ताक्षर किए हैं यह जांच कलेक्टर श्री भंडारी को कराना चाहिए।
ऐसा तो चलता रहता है: डीपीसी
सुरेंद्र सक्सेना, डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र छतरपुर का कहना है कि यह पत्र तत्कालीन कलेक्टर के हस्ताक्षर से ही जारी हुआ है, लेकिन दिनांक कलेक्टर साहब ने नहीं डाली थी, ताे हमने डिस्पेच डेट डाल दी। मैंने पता कर लिया है। इससे कुछ नहीं होता। ऐसा तो चलता ही रहता है।