पूरा भोपाल बेच डाला, बिस्तर में नोट भरे हैं, लड़कियां भेजते हैं

भोपाल। सोशल मीडिया पर एक आॅडियो वायरल हुआ है। इस आॅडियो में नगरनिगम के 2 कर्मचारी आपस में बात कर रहे हैं। दोनों ने उपायुक्त प्रदीप वर्मा एवं अपर आयुक्त जीपी माली के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। ये आरोप काफी गंभीर हैं। 

टेप में एक निलंबित वार्ड प्रभारी लालचंद पमनानी और दैवेभो कर्मचारी अशोक वर्मा आपस में बातचीत कर रहे है। अशोक वर्मा ने फोन पर हुई बातचीत की पुष्टि भी की है। फोन पर पमनानी अपने वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप वर्मा के बारे में कहते हैं कि इन्होंने पूरे भोपाल को बेच दिया है और हर कमिश्नर को पैसे खिलाते हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि प्रदीप वर्मा के खिलाफ शिकायत की जांच भी वह खुद ही कर रहे हैं। 

पमनानी जी नमस्तेः अशोक वर्मा बोल रहा हूं। आप लोगों का एफआईआर हुआ है क्या।
पमनानी : एक हो गई है न और दूसरी कौन सी हुई है।
वर्माः एक तो पहले हुई थी और अभी परसों में कोई एफआईआर हुई है क्या।
पमनानी : नहीं तो क्यों? एक केस की दूसरी एफआईआर कैसे होगी यार।
वर्माः वही तो।
पमनानी : एसपी साहब ने विभागीय जांच की रिपोर्ट मांगी है। जांच रिपोर्ट में प्रदीप वर्मा (उपायुक्त) ने दोषी मान लिया, इसी के पास सब फाइलें हैं। माली (अपर आयुक्त जीपी माली) भी। प्रदीप वर्मा को फोटोकॉपी दे रहा है वो कहां से दे रहा है।
वर्माः हां हां...
पमनानी : फाइल हमारे पास होती तो हम फोटो कॉपियां देते। अब कोर्ट में चालान पेश हो जाए तो उसमें साबित कर देंगे।
वर्माः अभी कुछ सिस्टम चल रहा है क्या। अशोक विहार वाला मामला।
पमनानी : बस वही एफआईआर तो दर्ज हो गई अब क्या होगा उसमें।
वर्माः वो तो आप लोगों का हुआ था, लोकायुक्त ने क्या संज्ञान में लिया है।
पमनानीः वो तो कहा था कि इनका एकाध वेतन वृद्घि रोककर खत्म करो केस लेकिन प्रदीप वर्मा .....(गाली) चला तो ओपी द्विवेदी के लेटर से एफआईआर ही दर्ज करवा दी। अब एक बात बताओ शिकायत तो वर्मा की हुई लोकायुक्त में और प्रदीप वर्मा ही शिकायत की जांच कर रहा है। ऐसा क्या होता है कभी। जिसके नाम पर शिकायत वहीं अपनी जांच कर रहा है।
पमनानी : केस घुमाफिराकर हम लोगों को फंसा दिया, लोकायुक्त में पैसे दे आया होगा। बस यही मैटर है, पुलिस वाले भी यही कह रहे हैं मैटर कुछ है नही बेवजह निगम आपको परेशान कर रही है।
वर्माः सुनने में आया है कि लोकायुक्त भी केस लांच करने वाले हैं इनके (प्रदीप वर्मा) विरुद्घ।
पमनानीः ईओडब्ल्यू में भी तो एक मैडम इनके पीछे लगी हुई है। कबाड़खाने का प्लाटों का मामला है। वो तो खा गया है पूरी नगर निगम को यार प्रदीप वर्मा जिसका नाम है। बहुत कमाया, इसके यहां इंकम टैक्स का छापा पड़ना चाहिए यार। बिस्तर में ही नोट मिलेंगे।
वर्माः सही कह रहे हो आप।
पमनानीः सतना मतना का रहने वाला है। वो वहीं इंस्पेक्टर था।
वर्माः कि खंडवा का है। पैसे कहां भेजता है?
पमनानीः मुझे इतना तो कन्फर्म है कि पैसा गांव भेजता है।
पमनानीः पूरे भोपाल को बेचा है यार। जो भी कमिश्नर आता है नोट खिला देता है, अब आला अधिकारी को तो नोट चाहिए ही चाहिए। उसको क्या मतलब कि छोटा कर्मचारी मर रहा है या क्या हो रहा है।
वर्माः हां उसको कोई मतलब नहीं है यार।
पमनानीः आते ही 10 पेटी दे दी उसको और आते ही 10 पेटी का काम करवा भी लेगा उससे। बड़ी बात थोड़ी है 10 पेटी देना। दोनो कमा रहे हैं माली साहब और ये। नगर निगम को ये दोनों ही चला रहे हैं। और क्या हुआ यार पेपर में पढ़ा था।
वर्माः बड़े-बड़े आदरणीय लोगों का कार्य था जो पेपर में खबरे आई थीं। मेरा कोई मामला ही नहीं था न इसमें। उनको प्रूफ करना होगा बस। यदि प्रूफ कर दे कि अशोक वर्मा ने लिए दिए तो एग्री हूं।
पमनानीः द्विवेदी तुम्हारे पीछे लगा है, अब तो रिटायर हो रहा होगा न।
वर्माः हां वही मामला है। रिटायर तो हो रहा है लेकिन इन लोगों के चट्टे बट्टे हैं न।
पमनानीः .....(महिलाओं का आदान प्रदान की बात कही गई, जो कि अमर्यादित होने की वजह से हम लिख नहीं रहे है।)
वर्माः ठीक है फिर मिलते हैं।

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ये वही व्यक्ति हैं, जिन पर लोकायुक्त का छापा पड़ा था। जांच में दो दो वेतन वृद्घि रोकी गई है। लोकायुक्त में शिकायत के आधार पर एफआईआर भी दर्ज हुई है। इसलिए दोनों झल्लाकर उल्टे आरोप लगा रहे हैं। अशोक वर्मा पर 25-25 हजार रुपए लेकर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का रखवाने की शिकायत है, जिसकी जांच चल रही है। जांच में पुष्टि भी हो गई है।
प्रदीप वर्मा, उपायुक्त नगर निगम

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