ग्वालियर में तैयार हुए हैं मिर्ची बम, कश्मीर में उपद्रवियों पर फोड़े जाएंगे

ग्वालियर। सरकार ने कश्मीर में उपद्रवियों पर पैलेट गन से फायरिंग करने के बजाए पावा शेल्स (मिर्च पाउडर भरे ग्रेनेड) से हमला करने की अनुमति दे दी है। ये ग्रेनेड ग्वालियर में टेकनपुर स्थित बीएसएफ की टियर स्मोक यूनिट (TSU) में तैयार किए गए है। इनमें इतनी तीखी मिर्च भरी गई है कि जुबान पर इसका एक तिनका भी टच हो जाए तो कानों से धुंआ निकल जाएगा। आंख में गई तो....। 

बीएसएफ की टेकनपुर स्थित टियर स्मोक यूनिट देश में सुरक्षा बलों और आर्मी के लिए आंसू गैस के गोले तैयार करती है। टियर स्मोक के इन गोलों के जरिए उपद्रवियों पर काबू पाया जाता है। कुछ साल पहले बीएसएफ ने टियर गोले में मिर्च का इस्तेमाल शुरु किया। मिर्च वाले टियर बम के बेहतर नतीजे निकले, इन बम की तीव्रता केमिकल के बराबर होती लेकिन इनके इस्तेमाल से उपद्रवियों को किसी तरह का शारीरिक नुकसान नहीं होता है लेकिन वो काफी समय तक परेशान जरूर रहते हैं। यही वजह है कि कश्मीर में पैलेट गन के विरोध के बाद इस विकल्प पर विचार किया गया। 

'मिर्ची बम' से जुड़ी 10 बड़ी बातें
पावा बम शेल्स में तीखेपन के लिए बीएसएफ ने भूत झोलकिया मिर्च का इस्तेमाल किया है। यह असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में मिलती हैं। इसके तीखेपन के कारण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉडर्स में भी इसे शामिल किया गया है। यह दुनिया की सबसे तीखी मिर्च है। ये मिर्च इतनी तीखी है कि जीभ पर इसका हल्का सा स्वाद आते ही आदमी अजीबो-गरीब हकरतें करने लगता है। इस मिर्च का पाउडर टियर स्मोक ग्रेनेड में इस्तेमाल किया जाता है। इसको उपद्रवियों के ऊपर दागते ही, आंख में बहुत तेज जलन होती है और दम घुटने लगता है। इन हालातों में कुछ देर के लिए उपद्रवी अपने स्थान पर स्थिर हो जाते हैं और किसी प्रकार की हरकत नहीं कर पाते। बाद में मिर्च के तीखे असर से वो खुद को कमजोर महसूस करता है और उसे आराम की तलब लगती है। उसे सामान्य होने में 4 से 8 घंटे लगते हैं। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !