यूपी: सीएम कैंडिडेट को लेकर भाजपा में तनाव बढ़ा

नईदिल्ली। कहते हैं दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर गुजरता है। यूपी में चुनाव आ रहे हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपने सीएम कैंडिडेट अनाउंस कर दिए हैं लेकिन बीजेपी में तनाव लगातार जारी है। यह बढ़ता ही जा रहा है। पहले भाजपा के कुछ नेता अपना अपना नाम उछाल रहे थे, अब संघ और भाजपा के बीच भी संघर्ष शुरू हो गया है। भाजपा पर दवाब है कि वो दीपावली से पहले अपने सीएम कैंडिडेट को अनाउंस कर दे। 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चाहता है कि यूपी में सीएम कैंडिडेट उनका स्वयं सेवक हो जबकि भाजपा में दर्जनों नाम आगे आ चुके हैं। मोदी के नाम पर यूपी चुनाव जीता हुआ मान चुके भाजपा नेता हर हाल में खुद को सीएम बनते देखना चाहते हैं और इसके लिए गुटबाजी तेज हो गई है। हालात यह बन गए हैं कि यदि सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सका तो असंतुष्ट भले ही बागी ना हों लेकिन नुक्सान जरूर पहुंचाएंगे। 

दिल्ली में बीजेपी के दिग्गजों का एक वर्ग केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल को भाजपा में शामिल करके उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाना चाहता है। अनुप्रिय भी बस इशारे का इंतजार कर रहीं हैं लेकिन संघ इसके लिए राजी नहीं है। उनका कहना है कि दलबदलुओं और मौका परस्तों को चांस नहीं दिया जा सकता। इससे अच्छा संदेश नहीं जाएगा। 

संघ का एक वर्ग चाहता है कि कट्टर हिंदुवादी नेता की छवि रखने वाले को सीएम कैंडिडेट बनाया जाए।  योगी आदित्यनाथ और वरुण गांधी का नाम इस लिस्ट में चल रहा है लेकिन मोदी के मैनेजर्स इसके लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि कट्टरवादी कैंडिडेट मोदी की छवि को नुक्सान पहुंचाएगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, महेश शर्मा और पार्टी उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा अपने लिए केंपेन करवा रहे हैं। अपने शुभचिंतकों को नागपुर और दिल्ली भेज रहे हैं। 

संघ के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो बड़ा फैसला लेना होगा और राजनाथ सिंह को वापस यूपी बुलाने पर विचार करना होगा। फैसला जो भी हो, फिलहाल जो सूरत सामने आ रही है उसमें भाजपाईयों के बीच कुर्सी की लूटमार साफ दिखाई दे रही है। 

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