ग्वालियर। दलितों का एक वर्ग अब मौजूदा कानून, मीडिया की संवेदनशीलता और सहायता वाली योजनाओं का पर्याप्त फायदा उठाने लगा है। ऐसा ही एक मामला जिला न्यायालय की विशेष कोर्ट में सामने आया। यहां उत्पीड़न का मामला दर्ज कराने वाले दलित कोर्ट में चालान पेश होते ही पलट गए। 2 मामलों में ऐसा हुआ। इससे पहले वो उत्पीड़न के मामलों में मिलने वाली सरकारी आर्थिक सहायता भी ले चुके थे। कोर्ट ने सरकारी सहायता की वसूली के आदेश कलेक्टर को दिए हैं।
लोक अभियोजक, जिला न्यायालय ग्वालियर जगदीश शर्मा ने बताया कि, कोतवाली थाना में रूपेश केन और कंपू थाने में कुसुमा आदिवासी ने राजा पाठक, शारदा पाठक और बल्लू खां के खिलाफ लूट मारपीट के मामले दर्ज कराये थे और बाद में दोनों ही मामलों में फरियादी अपने बयानों से पलट गए। इस पर कोर्ट ने चालान पेश करते समय दलित उत्पीड़न के मामलों में दी गई राशि को वसूलने के आदेश दिए हैं, और कहा है कि कलेक्टर इसकी सूचना कोर्ट को दें।
सरकारी सहायता के लिए रेप की FIR
इससे पहले ऐसे भी कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें सरकारी सहायता राशि पाने के लिए दलित महिला द्वारा रेप के झूठे मामले दर्ज कराए गए। रेप और दलित महिला होने के कारण प्रशासन भी दवाब में रहता है और यदि वो जड़ तक जाने की कोशिश भी करे तो संवेदनशील मीडिया बवाल खड़ा कर देती है अत: एफआईआर दर्ज करनी ही पड़ती है। ऐसे मामलों में सरकार चालान पेश होने तक पीड़िता को 75 प्रतिशत सहायता राशि का भुगतान कर देती है। बाद में यदि फरियादी पलट भी जाए तो कोई नुक्सान नहीं होता। सारा समाज इस चालबाजी को जानता है इसलिए महिला की समाज में बदनामी भी नहीं होती।