ईद पर यदि बकरा कटा तो गणेश विसर्जन भी नदी में ही होगा

सागर। पुजारी संघ ने ऐलान किया है कि तमाम तरह के तर्क देकर धार्मिक परंपराओं को बदलने की कोशिश करने वालों को अब स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिट्टी के गणेश की अपील स्वीकार्य है। शास्त्रों में कहीं भी मिट्टी के अलावा किसी पदार्थ की प्रतिमाओं का उल्लेख नहीं है परंतु गणेश विसर्जन नदी या जलाशयों में ना करें, यह अपील स्वीकार नहीं की जाएगी। पुजारी संघ ने सवाल उठाया है कि केवल हिंदुओं की परंपराओं को ही क्यों बदला जा रहा है। बकरीद भी तो जीव हत्या है। उनसे क्यों नहीं कहा जाता कि वो प्रतीक स्वरूप बकरे की बलि दें। यदि इस बार बकरीद पर बकरों को काटा गया तो गणेश प्रतिमाओं को विजर्सन भी नदी व तालाबों में ही होगा। 

पुजारी संघ के जिला अध्यक्ष पं. विपिन बिहारी साथीजी ने कहा कि वैदिक परंपरा में मिट्टी की मूर्ती सर्वोपरि मानी जाती है। कलयुग में पूजन के विधान अनुसार इसीलिये देवी जी या गणेश जी की मूर्ती बनाने की परंपरा चली आ रही है। पार्थिव शिवलिंग निर्माण का भी कलयुग में विशेषमहत्त्व धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। 

दैनिक भास्कर ने जो मिटटी के गणेश अभियान चलाया अत्यधिक सराहनीय है किंतु विसर्जन व्यवस्था जो चर्चारत है वो ठीक नहीं है। जहाँ सारे शहर का कचरा तालाब में जा रहा यहाँ तक की आधे शहर का मैला जमा हो रहा। व्यवस्था की जानी चाहिये थी वो उसमे ना मिले या आसपास की नदी में ना बहे क्योकि प्रदूषण उसी से हो रहा है। गणेश विसर्जन से कोई प्रदुषण नहीं होता।

नगर अध्यक्ष रामचरण शास्त्री ने कहा कि सनातन परम्पराओं को अपने ढंग से संकुचित करना उचित नहीं हैं इससे हमारी संस्कृति एक दिन विलुप्त हो जायेगी। भारतीय मीडिया चाहे वो इलेक्ट्रानिक हो या प्रिंट दोनों ही भारतीय सभ्यता के दुश्मन बन चुके हैं जो अंधविस्वास का हवाला देकर परम्पराओं तो तोड़ मरोड़ रहे हैं वैज्ञानिक युग में हम भी आँख बंद करके कहीं भी किसी भी प्रकार चलने को तैयार हो जाते हैं।

जैसे होली पर पानी बर्वाद मत करो, सावन में दूध शिवलिंग पर मत चढ़ाओ, नवरात्री पर लाऊड स्पीकर मत बजाओ और अब गणेश विसर्जन मत करो आदि आदि पर सवाल इसलिये खड़ा होता है कि यदि समय के अनुसार परंपराएं बदलना है तो समान रूप से सभी धर्मों की परंपराओं में बदलाव की मुहिम चलना चाहिये। रमजान में रोड जाम करके नमाज बंद की जाये, मजार पर चढाने की वजाय चादर गरीब को जाये यदि ऐसा नहीं किया जा सकता हो हमारी सनातन वैदिक परम्पराओं से खिलवाड़ ना किया जाये। 

संघ के सचिव पं. शिवप्रसाद तिवारी ने मीडिया और प्रसाशन से अनुरोध करते हुए कहा है कि गणेश विसर्जन से पहले बकरीद है इसमें भी मुहीम चलाई जाये कि मिट्टी का बकरा बनाकर काटा जाना चाहिये। जीवों की रक्षा होनी चाहिये यदि ऐसा नहीं किया जा सकता तो किसी कृतिम स्थान पर या घर पर गणेश विसर्जन नहीं होगा। सनातन धर्मावलंबी तालाब और नदी में ही गणेश विसर्जन करेंगे,और प्रसाशन जो कृतिम जलाशय बनाकर राशि खर्च करेगा वही राशि तो तालाब नदियों के सफाई में लगाई जा सकती है।

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