पुराने स्कूल संभल नहीं रहे, नए स्कूलों की घोषणा कर गए शिवराज

उपदेश अवस्थी/भोपाल। बेहिसाब घोषणाओं का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज फिर एक नई घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर उन्होंने मध्यप्रदेश के हर जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए एक स्पेशल स्कूल खोलने का ऐलान किया है। 

मध्यप्रदेश में संचालित शासकीय स्कूलों का हाल किसी से छिपा नहीं है। 25 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं बंटता। 32 प्रतिशत स्कूलों में मध्याह्न भोजन के नाम पर औपचारिकता भर होती है। स्कूलों में टीचर्स पढ़ाते नहीं हैं। 1.5 लाख अध्यापक सरकार से 2 साल से नाराज हैं। एक बार में बैठकर उनकी समस्याएं हल नहीं हो पा रहीं। हर साल 'स्कूल चलें हम' अभियान चलाया जाता है लेकिन बच्चे स्कूल नहीं आते। शिक्षा विभाग के अधिकारी बेतुके फरमान जारी करते रहते हैं। भोपाल से लेकर चौपाल तक टंटे ही टंटे नजर आते हैं। सिस्टम तो दिखाई ही नहीं देता। 

जितने स्कूल मौजूद हैं उनमें ही शिक्षकों की भारी कमी चल रही है। सैंकड़ों स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। शान से खोले गए उत्कृष्ठता विद्यालय अतिथि शिक्षकों के हवाले चल रहे हैं। 50 हजार से ज्यादा संविदा शाला शिक्षकों की भर्ती 3 साल से नहीं हुई। इंग्लिश मीडिया स्कूलों को संभालने से अधिकारियों ने इंकार कर दिया है। उनके निजीकरण का प्रस्ताव तैयार हो गया है। अब 50 से ज्यादा नए स्पेशल स्कूल का ऐलान कर दिया। समझ नहीं आता, जो सरकार मौजूद स्कूलों का संचालन नहीं कर पा रही, वो नए स्कूलों में क्या कुछ कर पाएगी। पहले खुद मुंहदेखी घोषणाएं कर देते हैं, फिर जनता सवाल करती है तो कहते हैं 'देखो मेरे गाल पिचक गए।'

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