नई दिल्ली। कश्मीर के अलगाववादियों पर पूर्व की सरकारें लाखों लुटाती रहीं परंतु सुर्खियों में आई बात यह है कि मोदी सरकार ने भी इसे बंद नहीं किया। वो भी अलगाववादियों पर करोड़ों लुटा रही है। अब अलगाववादियों को दिए जाने वाले फंड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कहा है कि हमे भी ऐसा ही लगता है और यहां बैठे हर को व्यक्ति को ऐसा ही लगता है।
बता दें कि इस फंड से ही ये अलगाववादी नेता VVIP लाइफस्टाइल का लुत्फ उठाने के साथ-साथ महगें होटलों में रुकते हैं और विदेश यात्रा करते हैं। याचिका में कहा गया है कि अलगाववादियों पर हर साल लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं और वो इस पैसे को भारत विरोधी गतिविधियां संचालित करते हैं।
गौरतलब है कि रिपोर्ट राज्य सरकार के आंकड़ों का हवाला दे रही है। उसके मुताबिक 2010 से ही अलगाववादियों के होटल बिल पर सरकार हर साल 4 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। पिछले पांच सालों में 21 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। बता दें कि राज्य सरकार इन्हें पॉलिटिकल एक्टिविस्ट यानि राजनीतिक कार्यकर्ता कहती है और उनके लिए अकेले घाटी में ही 500 होटल के कमरे रखे जाते हैं, दलील दी जाती है कि उनकी सुरक्षा के लिए ये जरूरी है।
कश्मीर के अलगाववादियों के खर्चों की लिस्ट अंतहीन है। अखबार की रिपोर्ट उनकी हकीकत उधेड़ कर रख देती है। रिपोर्ट के मुताबिक गाड़ियों के डीजल के नाम पर करोड़ों रुपए फूंके गए। कड़ी सुरक्षा के बावजूद वो घूमने के इतने शौकीन हैं कि हर साल औसतन 5.2 करोड़ रुपए का डीजल खर्च कर रहे हैं। 2010 से 26.43 करोड़ सरकारी रकम ईंधन में बह चुकी है।