ये अधूरी कहानी तो आपने भी पढ़ी होगी

एक बार कबूतरों का झुण्ड, बहेलिया के बनाये जाल में फंस गया सारे कबूतरों ने मिलकर फैसला किया और जाल सहित उड़ गये। "एकता की शक्ति" की ये कहानी आपने यहाँ तक पढ़ी है इसके आगे क्या हुआ वो आज प्रस्तुत हैं। बहेलिया उड़ रहे जाल के पीछे पीछे भाग रहा था। एक सज्जन मिले और पूछा क्यों बहेलिये तुझे पता नही की "एकता में शक्ति" होती है तो फिर क्यों अब पीछा कर रहा है ?

बहेलिया बोला "आप को शायद पता नही की शक्तियों का दंभ खतरनाक होता है जहां जितनी ज्यादा शक्ति होती है उसके बिखरने के अवसर भी उतने ज्यादा होते है"। सज्जन कुछ समझे नही। बहेलिया बोला आप भी मेरे साथ आइये। सज्जन भी उसके साथ हो लिए। 

उड़ते उड़ते कबूतरों ने उतरने के बारे में सोचा। एक नौजवान कबूतर जिसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी ने कहा किसी खेत में उतरा जाये। वहां इस जाल को कटवाएँगे और दाने भी खायेंगे। एक पिछलग्गू टाइप के कबूतर ने तुरंत विरोध किया की गरीब किसानो का हक़ हमने बहुत मारा अब और नही। एक चापलूस कबूतर ने कहा, जहाँ भी उतरे पहले मुझे दाना देना और जाल से पहले मैं निकलूंगा क्योकि इस जाल को उड़ाने में सबसे ज्यादा मेहनत मैंने की थी।

दल के सबसे बुजुर्ग कबूतर ने कहा, मै सबसे बड़ा हूँ और इस जाल को उड़ाने का प्लान और नेतृत्व मेरा था, अत: मेरी बात सबको माननी पड़ेगी। अंत में सभी कबूतर एक दूसरे को धमकी देने लगे कि मैंने उड़ना बंद किया तो कोई नहीं उड़ नही पायेगा क्योकि सिर्फ मेरे दम पर ही ये जाल उड़ रहा है और सभी ने धीरे धीरे करके उड़ना बंद कर दिया। परिणाम क्या हुआ कि अंत में वो सभी धरती पर आ गये और बहेलिया ने आकर उनको जाल सहित पकड़ लिया। 

सज्जन गहरी सोच में पड गए। बहेलिया बोला क्या सोच रहे है। सज्जन बोले "मै ये सोच रहा हूँ की ऐसी ही गलती तो हम सब भी इस समाज में रहते हुए कर रहे है। बहेलिया ने पूछा ,कैसे ? सज्जन बोले, हर व्यक्ति शुरू में समाज सेवा करने और समाज में अच्छा बदलाव लाने की चाह रखते हुए काम शुरू करता है, पर जब उसे ऐसा लगने लगता है कि उससे ही ये समाज संगठन  चल रहा है अत: सभी को उसके हिसाब से चलना चाहिए। तब समस्या की शुरुआत होती है। क्योकि जब लोग उस के तरीके से नहीं चलते तो उस व्यक्ति की अपनी समाज सेवा तो जरूर बंद हो जाती है।

यद्यपि समाज व संगठन तब भी चलता रहा था और बाद में भी चलता रहता है। पर हाँ इस कारण जो उस व्यक्ति ने जो काम और दायित्व लिया था वो जरूर अधूरा रह जाता है। जैसा इन कबूतरों के दल के साथ हुआ क्योकि जाल उड़ाने के लिए हर कबूतर के प्रयास जरूरी थे और सिर्फ किसी एक कबूतर से जाल नही उड़ सकता था।

इसलिए यदि अन्य लोग भी ऐसी नकारात्मक सोच रखेंगे और अपने प्रयास बंद कर देंगे तो समाज संगठन में भी उतनी ही गिरावट आएगी। क्योकि यदि हम जिस समाज में रहते है और उससे अपेक्षा रखते और उसमे अच्छा बदलाव देखना चाहते है तो हमें अपने हिस्से के प्रयास को कभी भी बंद नहीं करना चाहिए और अपना काम करते रहना चाहिए। इस कहानी में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अनपढ़ बहेलिया को पता है, एकता की शक्ति के बिखराव का राज, और कई सारे उच्च शिक्षित इस रहस्य से अंजान संगठनों को तोड़ने में लगे हैं। 
शोऐब सिद्बीकी
प्रवक्ता, सपाक्स
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