अजाक्स की झूठी शिकायतों पर हो रहीं हैं सपाक्स सदस्यों के खिलाफ कार्रवाईयां | कर्मचारी समाचार

भोपाल। सामान्य पिछडा एवं अल्प संख्यक वर्ग के अधिकारियों कर्मचारियों की संस्था सपाक्स की गतिविधियों में निरन्तर विस्तार एवं इस वर्ग के समाज का संस्था से निरंन्तर बढ रहे है जुडाव के कारण अब संस्था की न्यायपूर्ण गतिविधियों को रोकने हेतु संस्था के पदाधिकारियों की प्रताडना एवं दुर्भावनावश इनके स्थानान्तरण जैसी कार्यवाहियॉ की जाने लगी है। 

हाल ही में छतरपुर जिले में जिला संयोजक श्री के.के. शुक्ला के विरूद्ध साजिश कर अनुसूचित जाति एवं जनजाति क्रूरता अधिनियम के अन्तर्गत एफ.आई.आर कर प्रताडित किया जा रहा है। पूर्व में पन्ना जिले में डॉ. राजेश श्रीवास्तव मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अनुसूचित जाति एवं जनजाति क्रूरता अधिनियम के अन्तर्गत प्रताडित करने का प्रयास किया गया। श्री अरविन्द गुप्ता जिला कोषालय अधिकारी को अजाक्स द्वारा की गई असत्य एवं निराधार शिकायत के आधार पर आगर मालवा स्थानांतरित किया गया। 

विदिशा जिले में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में सम्मिलित अधिकारियों/कर्मचारियों के स्थानांतरण किये जाने की सिफारिश वहॉ की अजाक्स इकाई द्वारा की गई। संस्था के मंडला जिला इकाई के प्रमुख पदाधिकारीे डॉ. यू.एस. तिवारी (पशुपालन विभाग) का स्थानान्तरण माननीय मंडला सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री के नाम से की गई झूठी शिकायत के आधार पर किया गया। इसी प्रकार की असत्य शिकायतों का आधार बनाकर होशंगावाद जिला इकाई पदाधिकारी श्री भरत शर्मा, सहायक संचालक आदिम जाति कल्याण का स्थानान्तरण अन्यत्र प्रस्तावित है। 

संस्था द्वारा इस संबंध में माननीय मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन से संस्था पदाधिकारियों के विरूद्ध पक्षपात पूर्ण ढंग से की जा रही स्थानान्तरण एवं प्रताडना संबंधी कार्यवाहियों को रोकने हेतु निवेदन किये जाने के बावजूद इस प्रकार की गतिविधियॉ अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के वरिष्ठ पदों पर पदस्थ अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए की जा रही हैं जो शासकीय सेवकों के बीच अनावश्यक वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर रही हैं। 

संस्था इस प्रकार की गतिवधियों की भर्त्सना करती है एवं माननीय मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन तथा माननीय मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन से अपील करती है कि इस प्रकार की द्वेषपूर्ण गतिविधियों को तत्काल रोका जावें तथा एट्रोसिटी एक्ट के बढ़ते दुर्पयोग के कारण इस एक्ट को समाप्त किया जावे, अन्यथा संस्था द्वारा प्रदेश स्तरीय विरोध प्रदर्शन किया जावेगा।

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