इश्क में पड़कर धर्मांतरण कर लिया था, अब आधार कार्ड अटक गया

जबलपुर। एक हिंदू लड़की शहडोल के एक मुसलमान लड़के से प्यार कर बैठी। बात बढ़ी और शादी तक जा पहुंची। दोनों ने निकाह किया और नीलम का नाम नफीसा रख दिया गया। आधार कार्ड अनिवार्य हुए तो नफीसा का भी आधार कार्ड बनवा दिया गया। यह निकाह 3 साल ही चल पाया। दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। नीलम पिता के पास आ गई। अब वो नफीसा नाम से भी चिड़ जाती है लेकिन आधार कार्ड में तो नफीसा ही दर्ज है। उसने नीलम के नाम से नया आधार कार्ड अप्लाई किया तो साफ्टवेयर ने डुप्लीकेसी का केस बना दिया। 

ये है पेचीदा मामला
जबलपुर निवासी युवती ने 2013 में शहडोल निवासी मुस्लिम युवक के साथ विवाह किया। उस दौरान पति ने अपनी पत्नी का आधार कार्ड शहडोल में रहते हुए नफीसा के नाम से बनाया। तीन साल के बाद महिला का युवक के साथ तालमेल नहीं बैठा और वो वापस शहर आ गई। फिलहाल तलाक की प्रक्रिया चल रही है लेकिन महिला ने दोबारा पुराने नाम, पते, पिता आदि जानकारी के साथ नए सिरे से आधार कार्ड बनाने आवेदन कर दिया। आवेदन को जैसे ही यूआईडी के सर्वर में चढ़ाया तो सर्वर ने उस महिला का पहले से आधार होने की जानकारी दी।

चूंकि महिला ने आवेदन करते समय ये नहीं बताया था कि उसका आधार बन चुका है। इसलिए उसके आवेदन को सर्वर ने ही रिजेक्ट कर दिया। अब महिला दोबारा कार्ड बनाने के लिए परेशानी का सामना कर रही है। ई गवर्नेंस शाखा सहायक प्रभारी रोहित टेंभरे ने शांति का पुराना आधार सर्वर से खोज निकाला। इस सब के बाद भी महिला प्रयास में है कि जैसे-तैसे उसके पुराने नाम से आधार कार्ड बन जाए।

नहीं बन सकते दो आधार
आधार कार्ड के लिए देशभर में एक ही नियम काम करता है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति एक बार ही आधार कार्ड बनवा सकता है। यदि महिला की शादी हो या किसी को नाम परिवर्तन कराना हो तब भी आधार बन जाने के बाद उसमें सुधार के लिए कानूनी दस्तावेज होने जरूरी हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि बार-बार नाम या धर्म बदलकर आधार बनाया जाए। ये सिर्फ तभी हो सकता है जब कानूनी तौर पर प्रमाणित किया जा सके कि अब पुरूष या महिला का धर्म या नाम बदला गया हो।

एक मामला आया है जिसमें एक महिला पहले ही आधार बनवा चुकी है, और नया आवेदन कर दिया। चूंकि मामला कानूनी प्रक्रिया से जुड़ा है, इसलिए नया आधार बनना फिलहाल संभव नहीं है। -रोहित टेंभरे, सहायक प्रबंधक, ई गवर्नेंस

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