इटारसी। राजनीति में समाप्त हो चुकी शुचिता को बचाने में नाकाम नेता अब आइना देखने से भी घबराने लगे हैं। कहते हैं कवि की पंक्तियों में वही दर्ज होता है जो जनता की भावनाएं होतीं हैं। हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को कवि, आलोचक विजय बहादुर सिंह की मंच से राजनेताओं पर कटाक्ष कर उनकी तुलना कुत्तों के झुंड से कर डाली। इससे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा भड़क उठे। उन्होंने माइक लिया और बोले, ये क्या भाषा है आपकी, ये मर्यादा है?
मानसरोवर साहित्य समिति ने संवाद समारोह रखा था। अध्यक्षता कर रहे विजय बहादुर सिंह (76) ने शर्मा को संबोधित कर कहा कि आप विद्वान हैं, संस्कारवान परिवार से हैं। मुझे ऐसा लगता है आपने जगह (राजनीति) गलत चुनी। यहां हाल कुत्तों के झुंड में चलने जैसा है। इस पर विस अध्यक्ष बोले- मेरी उम्र भी 66 वर्ष हो गई, लेकिन अपने राजनीतिक विरोधियों की मर्यादा का हनन नहीं किया।
श्री शर्मा ने आगे कहा कि आपकी टिप्पणी अशोभनीय है। साहित्यकार की जुबां खराब बोलने लगे तो समझ लो मामला गड़बड़ है। आप व्यक्तिगत निंदा पर उतर आए। नेताओं की तुलना कुत्तों से करने लगे। इसके बाद 'हिंदी' का विषय गायब हो गया और एक नई बहस शुरू हो गई। क्या कवि सही थे या विधानसभा अध्यक्ष।