भोपाल। बात बात पर जातिवाद को मुद्दा बना लेने वाले मप्र के वरिष्ठ आईएएस रमेश थेटे, उनकी पत्नी मंदा थेटे समेत अपेक्स बैंक के 6 अफसरों के खिलाफ लोन कांड वाला मुकदमा जारी रहेगा। इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन वो खारिज हो गई है।
हाईकोर्ट ने थेटे दंपती सहित सभी अधिकारियों की उन अपीलों को खारिज कर दिया जिसमें निचली अदालत द्वारा धोखाधड़ी का आरोप तय करने को चुनौती दी गई थी। मामले में भोपाल स्थित अपेक्स बैंक के तत्कालीन चेयरमैन भंवरसिंह शेखावत, प्रबंध निदेशक आरबी बट्टी, डिप्टी एमडी केशव देशपांडे, एकाउंट ऑफिसर एचएस मिश्रा, सुशील मिश्रा व ओएसडी अरविंदसिंह सेंगर के खिलाफ भोपाल की विशेष अदालत में ट्रायल लंबित है। ट्रायल कोर्ट ने 21 जुलाई 2015 को थेटे दंपती पर आरोप तय किए थे। जस्टिस एसके गंगेले और जस्टिस एके जोशी की खंडपीठ ने 14 अगस्त 2016 को सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को खंडपीठ ने फैसला सुनाया।
प्रकरण के अनुसार थेटे दंपती ने स्मार्ट ऑडियो के नाम से अपेक्स बैंक से फर्जी तरीके से ऋण मंजूर कराया था। दोनों पर 90 लाख रुपए की देनदारी थी। मामले में मंदा थेटे व केशव देशपांडे को सजा भी मिल चुकी है। थेटे दंपती ने बैंक के इन अफसरों से मिलकर 50 लाख रुपए में ऋण का समझौता कर लिया। लोकायुक्त ने 2012 में सभी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया।
हाईकोर्ट में लंबित मामले में लोकायुक्त की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने दलील दी कि मूल रूप से ही लोन फर्जी तरीके से लिया गया था। इसके बाद उस ऋण पर कॉम्प्रोमाइज किया गया, जोकि आरबीआई गाइडलाइन का उल्लंघन है।