भोपाल। पिछले दिनों राजधानी में हुआ एबीवीपी का प्रदर्शन फिक्स था। मप्र के कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम फेल हो गया था। सरकार को इसे वापस लेना ही था। उसकी मजबूरी थी परंतु सरकार की किरकिरी भी ना हो और और एबीवीपी को भी एक क्रेडिट मिल जाए इसलिए यह फिक्सिंग की गई।
राजधानी समेत प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में इस समय 150 से 200 छात्रों पर एक शिक्षक है। जबकि सेमेस्टर सिस्टम के लिए काॅलेजों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक की जरूरत होती है। सत्र 2008-09 में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने के बाद नौ सालों में राज्य सरकार सरकारी कॉलेजों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के खाली पद नहीं भर पाई है। वर्तमान में टीचिंग के 47 फीसदी और नॉन टीचिंग के 32 फीसदी पदों के खाली होने के कारण ही प्रदेश में सेमेस्टर सिस्टम फेल हो गया है।
बिना सोचे समझे लागू कर दिया था सेमेस्टर सिस्टम
सरकार ने स्टाफ की कमी पूरी किए बिना ही सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया था। टीचर्स की ड्यूटी अन्य कामों में भी लगाई जाती है जिससे कक्षाएं प्रभावित होती है।
डॉ. कैलाश त्यागी,
अध्यक्ष प्रांतीय शासकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ
सिस्टम बंद नहीं, स्टाफ बढ़ाना चाहिए था
सेमेस्टर सिस्टम खराब नहीं है। यह तभी बेहतर तरीके से चल सकता है जब स्टाफ की संख्या पर्याप्त हो। पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति होने तक यह सिस्टम अंडर ग्रेजुएट में फिलहाल सफल नहीं है।
डॉ. जीएस चौहान, डिप्टी सेक्रेटरी यूजीसी
ये परेशानियां आ रहीं थीं
कॉलेजों में टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ के पद खाली होने से बढ़ गया था वर्कलोड।
स्टाफ की कमी के कारण साल में दो बार परीक्षाएं कराने से बिगड़ रहा था अकादमिक कैलेंडर।
मूल्यांकन में होने वाली देरी से रिजल्ट जारी करने में हो रही थी लेटलतीफी
वर्कलोड बढ़ने से फैकल्टी के सामने पढ़ाने और रिसर्च के लिए समय निकालने का संकट आ गया था।
छात्रों के बीच खेलकूद सहित अन्य गतिविधियां पूरी तरह से समाप्त हो गई थी।
तमाम समस्याओं के कारण सरकार की किरकिरी हो रही थी।
स्टूडेंट्स को होगा बड़ा नुक्सान
इस फैसले के बाद छात्रों को पसंद के विषय लेकर परीक्षा पास करने की मिलने वाली सुविधा की समाप्त हो गई है। यूजीसी ने सभी विवि और संबद्ध कॉलेजों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) और ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने के लिए कहा था लेकिन सीबीसीएस केवल सेमेस्टर सिस्टम में ही लागू होता है इसीलिए इसकी संभावना भी खत्म हो गई है।