बालाघाट में कटौती के कारण 199 शिशुओं और 15 प्रसूताओं की मौत हुई है

भोपाल। सूचना का अधिकार आन्दोलन के संयोजक अजय दुबे ने दावा किया है कि बालाघाट में बिजली कटौती के कारण केवल 3 या 4 बच्चों की मौत नहीं हुई है बल्कि पिछले 9 माह में 199 शिशुओं और 15 प्रसूताओं की मौत हो चुकी है। दुबे ने इस मामले में जिम्मेदारों को जेल भेजने की मांग की है। 

श्री दुबे ने बताया कि इस विषय में सामाजिक कार्यकर्ता सुशील लेवी की जनहित याचिका पर मप्र उच्च न्यायालय ने जाँच हेतु दिनांक 04 सितम्बर 2015 को मप्र उर्जा विकास निगम को आदेशित किया था किन्तु निगम ने उचित कार्यवाही नहीं की। इससे व्यथित होकर श्री सुशील लेवी ने पुनः जून 2016 में मप्र उच्च न्यायालय की शरण में गए किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के सख्त एवं संवेदनशील रवैये के बावजूद मप्र उर्जा विकास निगम ने कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाए। 

श्री दुबे के अनुसार विश्व बैंक की सहायता से भारत सरकार के नवकरणीय उर्जा मंत्रालय ने मप्र उर्जा विकास निगम के प्रस्ताव पर वर्ष 2011 में 129 स्वास्थ्य केन्द्रों में करोड़ों की आर्थिक सहायता प्रदान कर बिजली के अभाव में मरीजों के जीवन की रक्षा करने के लिये सोलर संयंत्र स्थापित करने का आदेश दिया था। बालाघाट जिला जहाँ कुछ दिन पूर्व बिजली की कमी से नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई है वहाँ पर भी करीब 70 लाख रूपये इस सोलर संयंत्र की व्यवस्था स्थापित करने के लिये निगम को मिले थे लेकिन आज दिनांक तक निगम ने इस राशि का ब्याज खाने के अलावा कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं की। हमारी जानकारी के अनुसार पिछले 9 माह में वहाँ पर 199 शिशओं तथा 15 प्रसुताओं की मृत्यु हुई। यह संपूर्ण विवरण स्वास्थ्य विभाग और मप्र उर्जा विकास निगम की अपराधिक लापरवाही को सार्वजनिक करता है। 

श्री दुबे ने मांग की है कि मामला संवेदनशील है अत: जिम्मेदार अधिकारियों के अलावा ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों के खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज कर उन्हें जेल भेजना चाहिए। श्री दुबे ने बताया कि यह एक बड़ा मामला है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। 

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