भोपाल। करीब 16 सालों से भाजपा के स्थाई प्रदेश उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की घोषणा कर दी है। शर्मा करीब 16 साल तक भाजपा के प्रदेश कार्यालय मंत्री रहे और इतना ही वक्त उन्होंने प्रदेश उपाध्यक्ष रहते बिताया परंतु कभी प्रदेश अध्यक्ष नहीं बन पाए। रघुनंदन फिलहाल सांसद हैं परंतु उन्होंने ऐलान किया है कि अब ना तो मुझे संगठन में कोई पद चाहिए और ना ही टिकट। बता दें कि श्री शर्मा को भाजपा में मालवा का गांधी भी कहा जाता है।
आप इसे फार्मूला 75 का असर कहें या पार्टी की नीतियों से नाराजगी। रघुनंदन शर्मा ने अपनी तरफ से कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने मीडिया के सामने केवल इतना कहा कि 'मैने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है।'
शर्मा ने यह जरूर कहा भी कि किसी भी प्रकार से वरिष्ठता को चोट पहुंचे, उससे पहले ही कदम पीछे हटा लेने चाहिए। आगे क्या करेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी जो काम देगी, उसे बिना पद के करेंगे। नहीं देगी तो आराम करेंगे। उम्र के क्राइटेरिया पर उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के फैसले को परोक्ष रूप से गलत ठहराते हुए कहा कि जब तक शारीरिक क्षमता है व्यक्ति को काम करते रहना चाहिए। राजनीति में उम्र नहीं, अनुभव और सक्रियता महत्वपूर्ण रहती है।
प्रमोशन में आरक्षण पर बोले-न्यायालय के ही निर्णय का सम्मान हो
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रमोशन में आरक्षण के विषय पर शर्मा ने कहा कि इस मामले में सभी को कोर्ट के निर्णय का ही सम्मान करना चाहिए। मेरी तो राय है कि इस विषय पर ज्यादा बयान बाजी न हो।