गांधी नेहरू के बाद अब क्या मदर टेरेसा पर भी यूटर्न लेगा RSS

उपदेश अवस्थी @लावारिस शहर। दशकों तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बौद्धिक आयोजनों में गांधी-नेहरू को कोसा जाता रहा। भारत विभाजन के लिए गांधी-नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया। गांधी को राष्ट्रपिता नहीं माना गया। नेहरू की तो ऐसी फजीहत की गई कि नेहरू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कम देश के अपराधी ज्यादा लगने लगे लेकिन जब भाजपा सत्ता में आई तो गांधी-नेहरू फिर से महान हो गए। आरएसएस का रुख बदल गया। भाजपा की तिरंगा यात्रा में भी गांधी-नेहरू को प्रमुखता और संघ के घोषित क्रांतिकारियों से आगे रखा गया। अब मदर टेरेसा की बारी है। वेटिकल सिटी उन्हें संत की उपाधि देने जा रही है। मोदी सरकार ने इस अवसर पर विदेश मंत्री को वहां उपस्थित रहने के लिए कहा है जबकि मोहन भागवत को मदर टेरेसा को समाजसेवी भी नहीं मानते। सवाल यह है कि इस मुद्दे पर अब आरएसएस का क्या रुख होगा। क्या गांधी-नेहरू की तरह टेरेसा मामले में भी संघ यूटर्न ले लेगा। 

क्या तय किया है मोदी सरकार ने 
मदर टेरेसा की जन्मतिथि पर एनडीए सरकार ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की थी। वह भी शीर्ष स्तर पर। यह कोई छोटी बात नहीं है। चार सितंबर को वेटिकन सिटी में मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जाएगी। सरकार ने तय किया है कि इस समारोह में भारत की ओर से विदेश मंत्री स्तर का व्यक्ति भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करेगा।

संघ के मदर टेरेसा के बारे में विचार 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गत वर्ष 23 फरवरी को कहा था कि मदर टेरेसा का गरीब और वंचितों की मदद करना केवल एक ढकोसला था। इसकी आड़ में वे और उनका संगठन धार्मिक विचारों को फैला रहे थे। राजस्थान के भरतपुर में एक अनाथालय और एक महिला गृह के उद्घाटन अवसर पर भागवत ने कहा था, ‘यहां हम ऐसी सेवा नहीं करेंगे जैसी कि मदर टेरेसा करती थी।’ कुछ नरमी बरतते हुए उन्होंने कहा, 'जिस प्रकार का काम वे करती थीं, वह अच्छा था। परन्तु उन्होंने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि सेवा के पीछे उनका उद्देश्य क्या था।’ यह उन लोगों को ईसाई बनाना था, जिनकी टेरेसा ने सेवा की थी. भागवत ने अपने भाषण में मदर टेरेसा के बरसों किए गए मानव सेवा के कार्य को एक झटके में ‘बेकार’ बता दिया। "भागवत ने कहा था कि मदर टेरेसा की सेवा के पीछे कुछ छिपे हुए मकसद थे, वे पीड़ितों को ईसाई बनाना चाहती थीं "

अब क्या माफी मागेंगे मोहन भागवत
भागवत के इस बयान के बाद स्वयंसेवकों ने सोशल मीडिया पर मोर्चा संभाला और मदर टेरेसा के खिलाफ दनादन पोस्ट हुए। तमाम विवाद उठा और लोकसभा तक पहुंचा। सरकार ने सदन में भी विषय को टाल दिया। स्पष्ट जवाब नहीं दिया। अब मोदी सरकार रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा मदर को संत की उपाधि दिए जाने का समर्थन कर रही है। इस समर्थन का अर्थ है कि भाजपा सरकार यह स्वीकार करती हैं कि मदर टेरेसा इस युग की चमत्कारिक इंसान थीं। ईश्वर की भेजी हुई दूत थीं। चर्च में संत से तात्पर्य यही होता है। सवाल यह है कि आरएसएस की नजर में कल तक जो मदर टेरेसा धर्मांतरण की दोषी थीं, आज वो देवदूत कैसे हो गईं। क्या आरएसएस की नजर और नजरिया बदल रहा है। क्या वो पहले गलत हुआ करते थे या फिर इन दिनों गलत हो गए हैं। क्या मदर टेरेसा के अपमान के लिए भागवत इसके लिए माफी मांगेगे। 

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