भोपाल। 35000 संविदा कर्मचारियों वाले नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के अफसरों ने कर्मचारी हितों की आवाज उठाने वाले 2000 संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। 6 महीने पहले अफसरों ने इन्हीं कर्मचारियों को एचआर पॉलिसी सहित सभी लाभ देने का वादा किया था, लेकिन अब सबकुछ बदल गया है। एनएचएम के अफसर, कर्मचारी व जिले के सीएमएचओ के बीच अनुबंध तैयार करा रहे हैं, जिसमें उल्लेख है कि आपकी नौकरी संविदा आधार पर है। जो कर्मचारी मानने को तैयार नहीं उन्हें किसी भी बहाने से बर्खास्त कर दिया जा रहा है। इसके साथ ही कई पदों को भी समाप्त कर दिया जाएगा।
एनएचएम कर्मचारियों ने 29 फरवरी 2016 से प्रदेशभर में हड़ताल की थी। उनकी मांग थी कि शिक्षा विभाग की पॉलिसी की तरह ही उन्हें भी तीन साल में नियमित करने के साथ ही वेतन में वार्षिक वृद्धि की जाए। इस संबंध में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संविदा कर्मियों की मांगें माने जाने का आश्वासन दिया था। मंत्री के कहने पर 35 हजार कर्मचारी 18 मार्च को काम पर लौट आए, लेकिन अफसरों ने कर्मचारियों को राहत देने की जगह नौकरी से निकालने की तैयारी शुरू कर दी। इसके तहत कार्य आधारित मूल्यांकन का हवाला देकर 54 फीसदी से कम अंक वाले कर्मचारियों को सेवा से बाहर कर दिया गया।
20 से अधिक योजनाएं संचालित
नेशनल हेल्थ मिशन में 20 से अधिक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें जननी सुरक्षा योजना, आईडीएसपी योजना, जननी एक्सप्रेस योजना, प्रसूति सहायता योजना, जन्म-मृत्यु पंजीयन, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, पोषण पुनर्वास केंद्र आदि शामिल हैं। इन योजनाओं के माध्यम से प्रदेशभर में स्वास्थ्य संबंधी कार्य किए जाते हैं।
संविदा कर्मचारियों को गलत तरीके से हटाया जा रहा है
नेशनल हेल्थ मिशन के अफसर कार्य आधारित मूल्यांकन में मनमाने तरीके से कर्मचारियों को नौकरी से हटा रहे हैं। जब कर्मचारियों ने हड़ताल की थी, तो मंत्री व अफसरों ने हमारी सभी मांगें मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब हमारे साथ अन्याय किया जा रहा है। हम आखिरी सांस तक इस निर्णय का विरोध करेंगे।
मेघसिंह बघेल, अध्यक्ष, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ
मूल्यांकन के आधार पर हटा रहे हैं कर्मचारी
नेशनल हेल्थ मिशन में जो भी कर्मचारी काम कर रहे हैं, वे सभी संविदा पर हैं। हम मूल्यांकन के आधार पर ही कर्मचारियों की नौकरी जारी रखेंगे। जिन कर्मचारियों के अंक मूल्यांकन में कम हैं, उन्हें हटाया जा रहा है। जो कर्मचारी बेहतर काम करेगा उसे ही नौकरी में रखा जाएगा।
बीएन चौहान, डायरेक्टर, नेशनल हेल्थ मिशन मप्र