भोपाल। यूं तो मप्र में महिलाओं को काफी सम्मान दिया जाता है, सब जानते हैं कि मप्र की अघोषित डिप्टी सीएम भी एक महिला ही हैं परंतु महिला आईएएस अफसरों को यहां कलेक्टर नहीं बनाया जाता। हालात यह है कि एक महिला आईएएस तो बिना कलेक्टर बने ही कमिश्नर हो गईं। ऐसा नहीं है कि मप्र में एक भी महिला आईएएस कलेक्टर नहीं बनी हो, लेकिन ज्यादातर महिला आईएएस अफसरों को कलेक्टर की कुर्सी से वंचित रखा जाता है।
सीएम शिवराज सिंह ने महिलाओं को आगे लाने के लिए काफी कदम उठाए हैं। निकाय चुनावों और पुलिस व वन विभाग को छोड़कर महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण देने का काम करके शिवराज सिंह देश में महिलाओं प्राथमिकता देने के मामले में देश के तमाम मुख्यमंत्रियों से आगे निकल गए हैं। 'बेटी बचाओ अभियान' ने शिवराज को देश भर में लोकप्रिय किया है। परंतु पता नहीं क्यों, महिलाओं को आगे बढ़ाने वाले यही शिवराज सिंह चौहान महिला आईएएस अफसरों को कलेक्टर नहीं बनाते।
ये महिला आईएएस अब तक नहीं बन सकीं कलेक्टर
जो महिला आईएएस अब तक कलेक्टर नहीं बन सकी हैं, उनमें 2006 बैच में आईएएस अवार्ड पाने वाली उर्मिला शुक्ला का नाम सबसे आगे है। उनके अलावा निलंबित चल रही आईएएस अधिकारी शशि कर्णावत, सागर में अपर कमिश्नर राजस्व के पद पर पदस्थ अलका श्रीवास्तव, सुरभि गुप्ता, मंजू शर्मा और सूफिया फारुकी वली को भी कलेक्टरी नहीं मिल सकी है। ये सभी वर्ष 2009 या उसके पूर्व वर्ष के बैच अधिकारी हैं। शासन ने इस बैच तक के पुरुष आईएएस अफसरों को कलेक्टर बनाया है। मंजू शर्मा जरूर पिछले साल नान एसएएस से आईएएस बनी हैं और सेवाकाल के आधार पर इन्हें वर्ष 2007 का बैच मिला है।