मप्र: कर्मचारियों को धर्म के आधार पर छुट्टिया देने वाले संचालक पर FIR की मांग

भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य स्कूल ओपन बोर्ड के संचालक का धर्म के आधार पर छुट्टियों के बंटवारे के आदेश को लेकर हंगामा अभी भी जारी है। संचालक के आदेश को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही है और कर्मचारी सरकार से संचालक पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

दरअसल राज्य स्कूल ओपन बोर्ड के संचालक ने अपने कार्यालय में कार्यरत श्रमिक और आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पांच संवैधानिक अवकाश का सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में हिंदु और मुस्लिम कर्मचारियों के लिए अलग-अलग पांच छुट्टियां निर्धारित की गयी है। इस आदेश को लेकर इसलिए हंगामा हो रहा है क्योंकि कर्मचारियों धर्म के आधार पर छुट्टियों के बंटवारे को लेकर नाराज हैं तो दूसरी तरफ दफ्तर में अन्य धर्म के कर्मचारियों की छुट्टियों को लेकर किसी तरह का आदेश नहीं किया गया है। 

दूसरी तरफ इस मामले के तूल पकड़ने के बाद संचालक आदेश निरस्त करने की बात कह रहे हैं, लेकिन अभी तक कर्मचारियों को आदेश निरस्त होने की सूचना नहीं दी गयी है। मध्य प्रदेश राज्य स्कूल ओपन बोर्ड के कार्यालयीन श्रमिक और आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर हंगामा रूकने का नाम नहीं ले रहा है। बोर्ड के कर्मचारी संचालक के धर्म आधारित छुट्टियों वाले आदेश को लेकर विरोध में उतर आए हैं। 

दरअसल संचालक ने कर्मचारियों को मिलने वाले अवकाश का आदेश 24 अगस्त को जारी किया है, इस आदेश में कर्मचारियों की छुट्टियों का वर्गीकरण हिंदू और मुस्लिम धर्म के आधार पर किया गया है। इन छुट्टियों में भी मुस्लिम धर्म के कर्मचारियों को जन्माष्टमी और गुरूनानक जयंती की छुट्टी दी गयी है, लेकिन अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि अगर उनकी मंशा कर्मचारियों के हित में थी, तो बोर्ड में कार्यरत ईसाई, सिख और अन्य वर्गों के कर्मचारियों को भी उनके आधार पर छुट्टी क्यों नहीं दी गयी। 

वहीं कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 5 नहीं 15 सवैतनिक अवकाश का लाभ मिलता है तो सिर्फ 5 क्यों दिए गए। इस मामले में राज्य ओपन स्कूल बोर्ड में कार्यरत कर्मचारी शमीमुल्ला खान कहते हैं कि एक तो इस तरह से कर्मचारियों में भेद किया जाना गलत है और अगर संचालक अच्छी मंशा से सभी धर्म के कर्मचारियों को उनके त्योहार के आधार पर सवैतनिक अवकाश देना चाहते थे, तो उन्होंने फिर सिख, ईसाई और दूसरे धर्म की छुट्टियों का बंटवारा क्यों नहीं किया। 

विभाग में कार्यरत संगीता वर्मा कहती हैं कि एक तो धर्म के आधार पर छुट्टियों का बंटवारा करना पूरी तरह से गलत है और अगर करना था तो सभी धर्मों के त्योहार को आधार बनाकर दूसरे धर्म के कर्मचारियों की भी छुट्टियां तय करना थी। इसके अलावा सरकार ने 15 दिन के सवैतनिक अवकाश घोषित किए हैं, लेकिन हमें सिर्फ 5 दिनों के अवकाश दिए गए हैं। 

कर्मचारियों की मांग है कि संचालक को हटाया जाए और उनपर सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं इस मामले के तूल पकड़ने के बाद आज संचालक प्रभातराज तिवारी दफ्तर ही नहीं पहुंचे। 

हालांकि उन्होंने बातचीत में कहा है कि मेरी मंशा धर्म के आधार पर बंटवारा करने की नहीं, बल्कि ये थी कि सभी धर्म के कर्मचारियों को उनके त्योहार पर सवैतनिक अवकाश मिले, इसलिए ऐसा आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा कि आदेश पर आपत्ति के बाद उन्होंने आदेश निरस्त कर दिया है और अब कर्मचारी कुल सवैतनिक अवकाशों में से कोई भी पांच सवैतनिक अवकाश अपनी मर्जी से ले सकेंगे। 

वहीं अन्य धर्म की छुट्टी निर्धारित न करने के मामले में उनका कहना है कि अन्य धर्मों के त्योहार पर या तो सार्वजनिक अवकाश राज्य शासन ने घोषित किए थे या उनके त्योहार के दिन रविवार का अवकाश था, इसलिए उन धर्मों को सूची में शामिल नहीं किया गया। हालांकि संचालक की आदेश निरस्त करने की बात को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि अब तक उन्हें आदेश निरस्त होने की सूचना नहीं मिली है। 

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