भोपाल। मध्य प्रदेश में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जन्मस्थली भाबरा गांव में रैली के दौरान इंतजामों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाखुश नजर आए। हालांकि इस कार्यक्रम के दौरान काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे लेकिन आगे की सीटें खाली थी। यह सीटें मीडिया के लिए रिजर्व की गई थी। इस गड़बड़ी के बाद मध्य प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
राज्य सरकार ने पत्रकारों को बस से भोपाल से भाबरा लाने और फिर इंदौर में रात को रोकने की व्यवस्था की गई। इंदौर में पत्रकारों के लिए वैभवशाली बफे नाश्ते के साथ ही शानदार व्यवस्थाएं की गई लेकिन पत्रकार समय पर नहीं पहुंचे। उन्होंने मोदी की सभा का कवरेज किया ही नहीं। बताया जा रहा है कि पत्रकार सुबह देर से रवाना हुए और सड़कों पर पानी भरे होने के कारण लेट हो गए। जब तक पत्रकार सभास्थल तक पहुंचे कार्यक्रम पूरा हो चुका था।
आजाद के गांव अलीराजपुर जाने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। भाबरा से पीएम मोदी ने ‘आजादी के 70 वर्ष: जरा याद करो कुर्बानी’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के द्वारा केंद्र सरकार आजादी के 70 सालों का जश्न मना रही है। इसका मकसद ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 74 साल पूरे होने का जश्न मनाना भी है। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कश्मीर में चल रहे तनाव पर भी बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ”हम कश्मीर के हर युवा का सुनहरा भविष्य चाहते हैं। पीड़ा है कि जिन बालकों के हाथ में लैपटॉप, किताब, बैट होना चाहिए, मन में सपने होने चाहिए, उनके हाथ में पत्थर होते हैं।”