थाली में जूठन छोड़ने वालों पर पेनाल्टी लगाई जाए

इंदौर। रेस्टोरेंट और दावतों में होने वाली खाने की बर्बादी को लेकर इंदौर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें मांग की है कि खाने की बर्बादी रोकने के लिए कानून बनाया जाए। इसके लिए कोर्ट खुद गाइड लाइन तैयार करे। खाना जूठा छोड़ने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए।

एडवोकेट आकाश शर्मा और प्रकाश राठौर ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा कि होटल, रेस्टोरेंट और दावतों में हर रोज करोड़ों का खाना बर्बाद होता है। विदेशों में खाना झूठा छोड़ने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन देश में ऐसा कोई कानून नहीं है। एक सर्वे के मुताबिक विश्व में भूखमरी से पीड़ित लोगों का एक बड़ा हिस्सा भारत में रहता है। ऐसी स्थिति में खाने की बर्बादी को रोकना जरूरी है।

यह मांग की है याचिका में
देश में खाने की बर्बादी रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। न ही किसी कानून में ऐसा कोई प्रावधान है इसलिए कानून बनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट खुद गाइड लाइन बना दें, ताकि खाने की बर्बादी रोकी जा सके।
शादियों, पार्टियों में मेन्यू कार्ड में आइटम की संख्या तय की जाए।
ज्यादा आइटम बनाने वालों और झूठा छोड़ने वालों पर जुर्माने का प्रावधान किया जाए।
होटल, रेस्टोरेंट्स में हॉफ प्लेट सिस्टम शुरू किया जाए। मेन्यू कार्ड में बताया जाए कि हॉफ प्लेट आइटम बुलाने पर क्वांटिटी कितनी आएगी।

इन समाजों ने उठाए ये कदम
माहेश्वरी समाज : माहेश्वरी समाज ने खाद्य सामग्री के अपव्य को रोकने के लिए शादी-विवाह व अन्य सामूहिक समारोह में 21 से अधिक व्यंजन बनाने पर रोक लगाई है।
बोहरा समाज : सैयदना साहब ने फिजूल खर्ची रोकने के लिए फरमान जारी किया था कि आयोजन में सिर्फ पांच व्यंजन बनाए जाएं। इसमें एक मिठाई, एक नमकीन, एक तरकारी और रोटी, चावल हो।
अग्रवाल समाज : अग्रवाल समाज की मिशन-21 संस्था शादी-ब्याह में सीमित व्यंजन बनाने और डिस्पोजल का इस्तेमाल न करने के लिए जनजागृति अभियान चला रही है।
जैन समाज : समय-समय पर दिगंबर और श्वेतांबर जैन समाज में भी संगठन स्तर पर खाने का अपव्यय रोकने के लिए इस तरह के कदम उठाए गए है।

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