प्रिय शिवराज, इन दागी अफसरों से आप डरते क्यों हो

भोपाल। मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान जब कटनी के पूर्व कलेक्टर प्रकाशचन्द्र जांगेर समेत करीब आधा दर्जन अधिकारियों को को सस्पेंड करते हैं तो एक मैसेज जाता है कि मप्र में अब भ्रष्टाचार नहीं चलेगा, लेकिन नजर जब उन 45 आईएएस अफसरों के खिलाफ दर्ज 61 मामलों की फाइलों पर जाती है, जिनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति वर्षों से लंबित है तो समझ नहीं आता कि शिवराज सिंह क्या संदेश देना चाह रहे हैं। विरोधियों को कहने का मौका भी मिल जाता है 'अली बाबा 45 चोर।'

लोकायुक्त पुलिस लम्बे समय से मप्र के 45 दागी आईएएस अफसरों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांग रही है। फाइलें सीएम सचिवालय में धूल चाट रहीं हैं। बार बार उंगलियां भी उठ रहीं हैं परंतु पता नहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान पर ऐसा कौन सा दवाब है कि वो अपनी बदनामी की परवाह किए बगैर, इन फाइलों को लटकाए हुए हैं। जबकि इनमें से कई आईएएस अफसरों के खिलाफ तो गंभीर आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हैं। 
इन बड़े आईएएस के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस में जांच लंबित
एमके सिंह : 1985 बैच के अधिकारी के खिलाफ राज्य शिक्षा केंद्र में लगभग 8 करोड़ रुपए की नियम विरुद्ध खरीदी के मामले में लोकायुक्त पुलिस जांच कर रही है। इनके खिलाफ डीई भी चल रही है। वे अभी राजस्व मंडल ग्वालियर में पदस्थ हैं।

लक्ष्मीकांत द्विवेदी : गृह विभाग में उप सचिव पदस्थ द्विवेदी पर कटनी नगर निगम आयुक्त रहते हुए द्विवेदी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। लोकायुक्त पुलिस जांच कर रही है। पूर्व लोकायुक्त जस्टिस पीपी नवलेकर के खिलाफ बयानबाजी भी की थी।

गोपाल रेड्डी : आईएएस गोपाल रेड्डी के खिलाफ कॉलोनाइजरों के अनुचित फायदा पहुंचाने के मामले में केस दर्ज हुआ था। 18 साल से जांच चल रही है। ईओडब्ल्यू ने 2002-03 में 6 करोड़ के नकली बीज खरीदी के मामले में दस साल बाद 2012 में केस दर्ज किया था। रेड्डी अभी केंद्र में पदस्थ हैं। 

नीरज मंडलोई : नीरज मंडलोई के खिलाफ भी इंदौर प्रेस क्लब मामले में 2009 में केस दर्ज हुआ था। नीरज काफी समय से केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर हैं।

राजेश राजौरा : इंदौर प्रेस क्लब में विधायक निधि से काम करवाने के मामले में लोकायुक्त ने राजौरा के खिलाफ दो केस में जांच शुरू की थी। एक केस में खात्मा लग चुका है। उसी तरह के एक केस में जांच चल रही है। मामला वर्ष 2009 का है। वे अभी कृषि विभाग के प्रमुख सचिव हैं। हालांकि, इससे जुड़े एक मामले में खात्मा लग चुका है।

विवेक अग्रवाल : अग्रवाल के खिलाफ 2009 में इंदौर प्रेस क्लब में विधायक और सांसद निधि से काम करवाने के मामले में लोकायुक्त पुलिस में जांच चल रही है। वे अभी मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव के रूप में पदस्थ हैं। हालांकि, इससे जुड़े एक मामले में खात्मा लग चुका है। 
(नोट : फरवरी 2016 में लोकायुक्त पुलिस द्वारा हाईकोर्ट में पेश किए गए शपथ-पत्र के अनुसार)

जांच के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ नहीं मिली कार्रवाई की अनुमति
रमेश थेटे : निलंबन झेल चुके आईएएस अफसर रमेश थेटे के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने चालान पेश करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। लोकायुक्त पुलिस को अभी तक अनुमति नहीं मिली है। उनके खिलाफ उज्जैन में सीलिंग की जमीन मुक्त करने का मामला चल रहा है।

बीके सिंह : फरवरी 2013 में बीके सिंह के घर लोकायुक्त पुलिस ने छापा मारा था। वे उज्जैन में सीसीएफ थे। छापे में बेनामी संपत्ति मिली थी। चालान की अनुमति राज्य सरकार ने लोकायुक्त पुलिस को नहीं दी है।

आईएफएस और आईपीएस भी दायरे में 
डॉ. मयंक जैन : 1995 बैच के आईपीएस अफसर के घर लोकायुक्त पुलिस का छापा पड़ा था। अनुपातहीन संपत्ति का आरोप लगा। मयंक जैन फिलहाल सस्पेंड हैं।

अजीत कुमार श्रीवास्तव : आईएफएस अफसर श्रीवास्तव के खिलाफ एक टिंबर कारोबारी ने 55 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का ऑडियो वायरल किया था। उन्हें तत्काल पद से हटाया गया। अपर मुख्य सचिव बीपी सिंह ने जांच की।

इन प्रमोटी आईएएस के खिलाफ भी आरोप
एसएस कुमरे : एसएस कुमरे के खिलाफ 6 साल से ज्यादा समय से विभागीय जांच चल रही है। उनके खिलाफ उमरिया कलेक्टर रहते हुए मृदा संरक्षण प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित बजट से ज्यादा पैसा आवंटित करने के मामले में विभ्ाागीय जांच चल रही है। मंत्रालय में पीएचई के उपसचिव के रूप में पदस्थ हैं।

कामता प्रसाद राही : महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की राशि में 16 लाख की गड़बड़ी का आरोप झेल रहे हैं। उनके खिलाफ विभागीय जांच चल रही है। राही निलंबित भी रहे, फिर उन्हें 2010 में बहाल कर दिया गया। विभागीय जांच अभी जारी रही।

अखिलेश श्रीवास्तव : अखिलेश श्रीवास्तव जब दमोह जिला पंचायत के सीईओ थे, तब उन पर शिक्षाकर्मी भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा था। विधानसभा में गलत जानकरी देने के मामले में भी उनके खिलाफ जांच हुई। रिटायर हो गए।
इनपुट: सौरभ खंडेलवाल, पत्रकार भोपाल

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