मप्र में रामदेव को दिया डबल डिस्काउंट +टैक्स छूट

इंदौर। बाबा रामदेव की मोटा मुनाफा कमा रही कंपनी पतंजली आयुर्वेद को डबल डिस्काउंट दे डाला। अपने अधिकारों का पूरा दुरुपयोग किया गया। 91 लाख प्रति एकड़ वाली जमीन को डिस्काउंट के बाद 50 लाख एकड़ में देना था परंतु सरकार ने रामदेव के लिए आधी हो चुकी कीमत को एक बार और आधा कर दिया। 40 एकड़ जमीन पर 50+50% डिस्काउंट दिया गया। इतना ही नहीं हमेशा के लिए टैक्स छूट भी दे दी गई। रामदेव की कंपनी से मप्र को कितना टैक्स मिलेगा या कितने लोगों को रोजगार मिलेगा, अनुबंध में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया। अब छोटे उद्योगपतियों ने इसके खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है। 

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजली आयुर्वेद को पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में 40 एकड़ जमीन दी जा रही है जबकि नियमानुसार 10 एकड़ से ज्यादा जमीन नहीं दी जाती। यह जमीन 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से दी जा रही है जबकि इसका बाजार मूल्य 91 लाख रुपए प्रति एकड़ है। आज तक सर्वाधिक छूट के बावजूद यहां 50 लाख रुपए प्रति एकड़ जमीन सरकार ने दूसरी कंपनियों को दी है। 

पतंजली लिमिटेड ने पीथमपुर में कास्मेटिक प्लांट लगाने का प्रस्ताव दिया था। अब रामदेव यहां फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करने की बात कर रहे हैं। सरकार ने इसे खुशी खुशी मंजूर कर लिया है क्योंकि फूड प्रोसेसिंग यूनिट को ज्यादा से ज्यादा टैक्स छूट दी जा सकती है। 

दरअसल सौ करोड़ और ज्यादा के निवेश प्रस्ताव पर फैसले सीधे भोपाल से हो रहे हैं। इनके लिए एक विशेष निवेश संवर्धन मंत्रिमंडलीय कमेटी बनाई है। लिहाजा मंत्रिमंडलीय कमेटी अपने अधिकारों का पूरा उपयोग बाबा रामदेव के हित साधने में कर रही है। 

डबल डिस्काउंट का गणित
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी के अनुसार पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में जमीन का दाम 210 रुपए प्रति वर्ग फीट याने 91 लाख रुपए एकड़ से भी ज्यादा है। छोटे उद्योगों को जमीन आवंटन पर तमाम छूट और रियायतें मिलती हैं, तब जाकर उन्हें 50 लाख रुपए एकड़ तक जमीन मिल पाती है। इस छूट के साथ मध्यम उद्योगों को 5 हजार वर्गमीटर से अधिकतम सवा 12 एकड़ तक जमीन ही आवंटित की जाती है। पतंजली के लिए सरकार ने यह सीमा भी लांघ दी।

माथा देखकर तिलक लगा रही है सरकार
सरकार चेहरा देखकर तिलक लगा रही है। खास उद्योगों के लिए नीति में मनमाना बदलाव होता है। बड़े उद्योगों को छप्पर फाड़ कर मनमानी छूट दे रहे हैं। ऐसे में छोटे उद्योग प्रतिस्पर्धा ही नहीं कर सकेंगे। हम मांगते हैं तो सरकार के पास जमीन ही नहीं होती।
गौतम कोठारी, 
अध्यक्ष पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र

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