पेट्रोलपंपों पर मिलावट मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पेट्रोलपंपों पर डीजल में ‘धड़ल्ले के साथ’ मिलावट चल रही है और इनके मालिक और डीलर इसके लिए लाखों लीटर मिट्टी के तेल की हेराफेरी कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि ये लोग ‘राजनीतिज्ञों जैसे बड़े ताकतवर लोग हैं।’

मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। यह ऐसा मामला है जो धड़ल्ले से चल रहा है और बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है तथा राजनीतिज्ञों जैसे बहुत ताकतवर लोगों के पास पेट्रोलपंप हैं। वे मशीन के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। यही लोग है जो बदलाव का विरोध करेंगे। डीजल में मिलावट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा कि छोटी जगहों और ग्रामीण इलाकों में जाइए तो पाएंगे कि इसमें हर तरह के लोग शामिल हैं, अपराधी भी और राजनीतिज्ञ भी।

पीठ ने पूछा कि आप मिलावट को किस प्रकार रोकेंगे? कैसे यह रुकेगा? क्या कोई रणनीति है आपके पास। लाखों लीटर केरोसिन की हेराफेरी की जा रही है। न्यायालय ने सरकार को पेट्रोलियम मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के विधायक देवेन्द्र उर्फ मुकेश अग्रवाल के खिलाफ इस मामले में जांच कराने का आदेश देते हुये ये टिप्पणियां कीं। पीठ में मुख्य न्यायधीश के अलावा न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर और डी.वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। अग्रवाल के खिलाफ बसपा नेता सीमा उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि उनके (उपाध्याय के) स्वामित्व और परिचालन में बेनामी रूप से चल चलाए जा रहे पेट्रोल पंपों पर डीजल में मिलावट की जाती है। 

पीठ ने सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार से मंत्रालय की ओर से एक शपथपत्र दाखिल करने को कहा है जिसमें सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाने वाले मिट्टी के तेल की मिलावट और हेराफेरी रोकने के उपायों की जानकारी दी गई हो। पीठ ने हालांकि कुमार के इस तर्क पर ध्यान नहीं दिया कि इस मामले में जनहित याचिका की आड़ में विरोधी राजनेता की ओर से निजी स्वार्थ से यह मुद्दा उठाया गया है। पीठ ने कुमार से कहा कि जांच रिपोर्ट छह सप्ताह में उच्चतम न्यायालय को सौंपी जानी चाहिये।

पीठ ने कहा कि जांच अधिकारी को उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सादाबाद के विधायक अग्रवाल को नोटिस भेजना चाहिये और उपाध्याय के आरोपों पर उससे जवाब मांगना चाहिये। न्यायालय पीठ ने मंत्रालय से पेट्रोल और डीजल में मिलावट की जांच के लिये पेट्रोल पंपों पर मशीन लगाने सहित विभिन्न विकल्पों को परखने का कहा है।

पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय के वकील राजीव शर्मा ने कहा कि यह मामला राजनीतिक विरोध का नहीं हैं बल्कि यह उजागर करने का है कि पेट्रोलियम पदाथोर्ं में किस तरह बिना किसी रोकटोक के मिलावट चल रही है और तेल माफिया किस कदर खुलेआम यह काम कर रहा है।

पीठ के समक्ष सुनवाई में कहा गया कि हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न पूछा गया जिसमें जवाब में बताया गया कि पिछले तीन साल के दौरान पेट्रोल पंपों में मिलावट के 3,801 मामले सामने आये हैं जिनमें से 672 मामले उत्तर प्रदेश से जबकि 364 मामले मध्यप्रदेश के हैं।

सुनवाई पीठ के समक्ष कुछ वर्ष पहले इंडियन आयल कापरेरेशन के अधिकारी और आईआईएम के स्नातक एस मंजूनाथ की हत्या का भी जिक्र किया गया जो इस तरह के गोरखधंधे को रोक रहे थे। उनकी हत्या लखनउ के एक पेट्रोलपंप मालिक ने की थी। इसी प्रसंग में महाराष्ट्र के नासिक में एक सरकारी अधिकारी को जिंदा जलाए जाने के प्रकरण का भी उल्लेख किया गया।

पीठ ने कहा कि यह समस्य गंभीर है और इसकी जड़े गहरी हैं। उसने सालिसिटर जनरल ने इसका समाधान प्रस्तुत करने को कहा और कहा कि यह काम तकनीकी तरीकों से हो तो अच्छा है।

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