मुख्यमंत्री महोदय, करोड़पति विधायकों का इलाज हम क्यों कराएं

उपदेश अवस्थी @लावारिस शहर/भोपाल। क्षमा कीजिए, लेकिन सिस्टम पर सवाल उठाने को मन करता है। मप्र के नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे बीमार हैं। मप्र सरकार ने उनके इलाज पर करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इसके अलावा उनके सरकारी बंगले और कार इत्यादि तमाम सुविधाओं को जोड़ दिया जाए तो यह रकम 5 करोड़ के आसपास हो जाती है। ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करे और वो दीर्घायु हों परंतु सवाल यह है कि कटारे जैसे करोड़पति व्यापारी का इलाज सरकारी खजाने से क्यों ? यहां सवाल केवल कटारे का नहीं है। मप्र के 45 विधायकों ने अपनी सामान्य बीमारियों के लक्झरी इलाज पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च कर डाले। यह सारा पैसा जनता से बेतहाशा टैक्स लगाकर वसूला गया है। फिर ये फिजूलखर्ची क्यों। 

अपने इलाज के लिए सरकार खजाने से मोटी रकम खर्च करने वालों में सत्यदेव कटारे के बाद बीजेपी विधायक कैलाश चावला का नाम आता है, उन्होंने लगभग 23 लाख रुपए इलाज के लिए सरकारी खजाने से लिए। शेष 44 विधायकों ने 1 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए। यह परंपरा पुरानी है। पहले गंभीर बीमारियों की स्थिति में ही विधायकगण, सरकारी खजाने से पैसा निकालते थे परंतु इन दिनों उन तमाम बीमारियों, जिनका इलाज मप्र के सरकारी अस्पतालों में मौजूद है, के लिए विधायकगण दिल्ली, मुंबई के 5 सितारा अस्पतालों में जाकर भर्ती हो रहे हैं। एक फैशन सा चल पड़ा है, बीमार होने का। यह बढ़ता ही जा रहा है। कल आईएएस/आईपीएस अपने इलाज के लिए पैसा निकालने का प्रावधान कर लेंगे। परसों कर्मचारी हड़ताल करके नया नियम बनवा लेंगे। जनता की मेहनत की कमाई, इनके इलाज पर खर्च होती रहेगी और जनता को सरकारी अस्पतालों में दुत्कारा जाता रहेगा। यह कैसा सिस्टम है। विधायक हैं, मप्र के दामाद तो नहीं हैं, जो उनकी बेजा मांगों को भी पूरा किया जाए। 

विधायक हमारे माननीय होते हैं, परंतु जनता उनकी भी सम्माननीय होती है। लोकतंत्र में जनता ही राजा होती है। जनप्रतिनिधि सेवक होते हैं। राजा की सेवा में खजाने को खर्च किया जाना चाहिए। सेवकों की सेवा में खजाना लुटाना उचित नहीं कहा जा सकता। जनता के पैसों का दुरुपयोग दण्डनीय अपराध होना चाहिए। सरकार, जनता की पीठ पर कोड़े बरसा कर टैक्स नहीं वसूल सकती। जनता विकास और सदुपयोग के लिए पैसे देती है। भ्रष्टाचार और ऐशोआराम के लिए नहीं। यदि विधायक आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है और बीमारी का इलाज मप्र में नहीं है तो एम्स जैसे अस्पतालों तक का ख़र्चा सरकार को उठाना चाहिए, लेकिन विदेशों या महानगरों के आलीशान अस्पतालों में महंगे इलाज के खर्च की अनुमति जनता नहीं दे सकती। भाजपा और शिवराज सिंह चौहान अक्सर कहते हैं जो कि जो नियम आम जनता को तकलीफ़ देते हों, वो बदल दिए जाने चाहिए। मप्र के 6 करोड़ मतदाता विनम्र निवेदन के साथ आदेश देते हैं। इस नियम को बदल डालिए। हम अपने पैसों की फिजूलखर्ची कराने के लिए कतई तैयार नहीं है। 

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