भोपाल में रेत माफिया ने अपनी (अवैध) चौकी भी स्थापित कर ली

भोपाल। अब तो कहा जाने लगा है कि मप्र में रेत माफियाओं के समर्थन वाली सरकार है। रेत माफिया खुलेआम उत्खनन और कारोबार कर रहे हैं। कभी कोई सरकारी अधिकारी कार्रवाई की हिम्मत जुटाता है तो उसे सीएम हाउस की धमकी दी जाती है। माफिया की हिम्मत देखिए, उसने राजधानी भोपाल में अवैध चौकी स्थापित कर ली है। यहां विरोधी कारोबारियों के डंपरों की जांच की जा रही है। बाकयदा रायल्टी चैक की जाती है और यह सबकुछ खनिज विभाग के कर्मचारी नहीं, बल्कि माफिया के गुर्गे कर रहे हैं। 

इन दिनों भोपाल में 11 मील होशंगाबाद रोड पर एक जांच चौकी दिखाई दे रही है। यह चौकी सरकारी जमीन पर बनाई गई है। जहां 24 घंटे शहर में आने वाले डंपरों की जांच की जाती है। यहां पर 8 से 10 लोगो की एक टीम डंपरों की रायल्टी की जांच करती हैं। ट्रक में कितनी रेत भरी है, इसकी जांच भी की जाती है। जांचकर्ता खनिज विभाग के कर्मचारी नहीं हैं। फिर भी यह सबकुछ खुलेआम चल रहा है। 

तुर्रा देखिए 
इस चौकी को जायज बताने की कोशिश करते हुए भोपाल सैंड ट्रक आॅनर्स एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी विजय सनोडिया ने बताया कि राजस्थान की शिवा काॅरपोरेशन और इंदौर की बालाजी कंपनी के ट्रक शहर में बिना रायल्टी दिए रेत का कारोबार करते हैं। इसके चलते यहां पर कारोबारियों को घाटा हो रहा है। इसीलिए चौकी बनाई है ताकि बिना रायल्टी वाली गाड़ियां शहर में प्रवेश न कर सके। 

कलेक्टर का बेचारगी भरा बयान
इधर, कलेक्टर निशांत वरवड़े का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था प्रशासन के नाम का उपयोग कर अवैध तरीके से गाड़ियाें की जांच कर रहा है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। खनिज और पुलिस विभाग के अफसरों से इस संबंध में रिपोर्ट ली जाएगी। ताकि यह पता चल सके कि कौन लोग गाड़ियां की जांच कर रहे हैं। 

आशय क्या
आशय यह कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था प्रशासन के नाम का उपयोग नहीं कर रहा और गाड़ियों की जांच कर रहा है तो कलेक्टर को शायद कोई आपत्ति नहीं है। सरकारी जमीन पर चौकी स्थापित कर पैरलल पुलिसिंग शायद माफिया के लिए अवैध गतिविधि नहीं है। कल वो काली वर्दी वाली पुलिस तैनात कर देगा। परसों वो नीली दीवार वाली जेल भी बना सकता है। माफिया कानून हाथ में लेकर खेल रहा है और कलेक्टर यदि, किन्तु, परंतु में उलझे हुए हैं। 

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