गांव को डूबने से बचाने एसडीएम ने खुद कटान बांध दी

नवनीत मिश्र/नई दिल्ली। ज्यादातर अधिकारी आपात स्थिति में खुद को मौके से दूर कर लेते हैं, आफत गुजरने के बाद मौके पर पहुंचते हैं और कार्रवाई करते हैं परंतु एसडीएम अरविंद कुमार इस किस्म के अधिकारी नहीं थे। उन्होंने पूरे गांव को डूबने से बचा लिया। बिना रेस्क्यू टीम का इंतजार किए वो खुद जुट गए और कटान बांध दी। 
यूपी में बलिया की बैरिया तहसील। यहां गंगा-घाघरा के पानी ने उफान मारा तो दुबेछपरा का रिंग बांध दरकने लगा। कटान होने से आसपास के गांव पानी में समाने लगे। गांव वाले हाथ-बांधे खड़े थे। दिल धड़कने लगा-अब क्या होगा। सिर पर हाथ रखकर सब उदास थे। अचानक एसडीएम अरविंद कुमार की गाड़ी गांव में दाखिल हुई। गाडी़ से उतरते ही देखा गांव वाले मुंह लटकाए उदास बैठे हैं। सिर्फ बांध कटान से आने वाले पानी को देख रहे हैं। गांव वालों को हताश देख सोचे यही हाल रहा तो पूरा गांव डूब जाएगा। 

एसडीएम बोले चलो मेरे साथ चलो। गांव वाले पीछे-पीछे चलते हैं। फिर एसडीएम बांध के पास अपने साथ लाए जियो बैग(मिट्टी की बोरियां) सिर पर उठाकर चल पड़ते हैं बांध की तरफ। ऐसे ही दो घंटे तक एसडीएम ने खुद सिर पर बोरियां ढोईं तो गांव वाले भी शर्मिंदा हो गए और उनका जमीर जागते ही जोश चढ़ गया। सभी बोरियां ढोते गए। धीरे-धीरे बांध की कटान रोकने में सफलता मिली। यह कहानी है कि कैसे एक एसडीएम ने हनुमान बनकर गांव को तबाही से बचा लिया।

कटान तेज होने पर भागने लगे थे मजदूर
दरअसल गंगा और घाघरा में पानी का दबाव तेज होने पर दुबेछपरा बांध से कटान तेज हो चली। पहले से इस कटान को रोकने में मजदूर जियो बैग डालने में जुटे थे। मगर, पानी का बहाव तेज होने पर डरकर मजदूर भागने लगे। तब तक एसडीएम पहुंच चुके थे। उन्होंने सोच लिया कि अगर गांव वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और मजदूर भाग गए तो बांध के आसपास के गांव पानी में समाकर तबाह हो जाएंगे। बस उन्होंने खुद बोरियां उठानी शुरू कर दीं तो गांव वाले भी जोश में आ गए। 

साहब हम आपका अहसान कैसे चुकाएं
दो घंटे तक खुद सिर पर बोरियां ढोकर बांध को टूटने से बचाने वाले एसडीएम की पहल से गांव वाले गदगद रहे। जब एसडीएम जाने लगे तो गांव वालों ने एकजुट होकर कहा कि साहब हम तो आपका अहसान नहीं चुका सकते। आप नहीं होते तो गांव डूब जाता। इस पर एसडीएम ने कहा कि-आप लोगों को केवल यह बताना था कि एकजुट होकर कोई प्रयास करने से हम अपने गांव की हर मुसीबत को टाल सकते हैं। 

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