सामान्य चोरियों में इंश्योरेंस नहीं मिलेगा: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। अगर आपके घर से अहिंसक तरीके और बिना बलपूर्वक चोरी होती है, तो आपको बीमा कंपनी से हर्जाना नहीं मिलेगा। यानी अगर कोई 'रहम दिल चोर' आपके घर से सामान चुरा ले गया है और घर का कोई व्‍यक्‍ित उसकी हिंसा का शिकार नहीं हुआ है, तो इंश्‍योरंस के लिए क्‍लेम नहीं किया जा सकेगा।

न्यायमूर्ति राव ने 2004 के उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि बिना हिंसा और बल के हुई चोरी में बीमा कंपनी के खिलाफ क्षतिपूर्ति का दावा नहीं किया जा सकता है। बीमा कंपनी की पॉलिसी की शर्तों में ही यह बात कही गई है। हम इसमें न ही कुछ जोड़ और घटा सकते हैं।

उन्होंने कहा, आम भाषा में 'बर्ग्लरी', चोरी ही है। हांलाकि, इससे पहले बल और हिंसा लगा होता है। यदि वारदात में हिंसा या बल प्रयोग नहीं हुआ है, तो बीमित व्यक्ति‍ क्लेम के लिए दावा नहीं कर सकता। यह फैसला ओडीशा पीएसयू के एक मामले में शीर्ष अदालत में दिया, जिसमें पीएसयू ने 34.40 लाख हर्जाना का दावा किया था। पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ओडीशा औद्योगिक संवर्धन और निवेश निगम ने जोसना कास्टिंग सेंटर ओडीशा प्राइवेट लिमिटेड को 40.74 लाख का अग्रिम ऋण दिया। पैसा नहीं चुकाने पर पीएसयू ने निजी कंपनी की संपत्ति जब्त कर ली।

पीएसयू ने 1996 में न्यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी से हाउस ब्रेकिंग पॉलिसी और बर्ग्लरी के लिए 46 लाख रुपए का हर्जाना मांगा। इसके बाद पीएसयू ने जनवरी 1997 में जब्त संपत्ति की बोली लगाई और पता चला कि कंपनी के परिसर से मशीन के कुछ पार्ट गायब हैं। इसके बाद चोरी की एफआईआर दर्ज की गई।

पीएसयू ने बीमा कंपनी पर 34.40 लाख के हर्जाने का दावा किया। इसे बर्ग्लरी और हाउसब्रेकिंग पॉलिसी के तहत किया गया। बीमा कंपनी ने क्षतिपूर्ति करने से इंकार कर दिया। कहा गया कि यह चोरी बीमा पॉलिसी के दायरे में नहीं आती है। कंपनी के परिसर में किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं हुई है।

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