बुलंदशहर गैंगरेप: पढ़िए उस दरिंदगी भरी रात की पूरी कहानी

बुलंदशहर। बुलंदशहर (उप्र) के नेशनल हाईवे-91 पर शुक्रवार रात मां-बेटी से सामूहिक दुष्कर्म की जघन्य वारदात के साक्षी बने लाचार पिता ने जो खुलासा किया है, उसे जानकर किसी का भी खून खौल सकता है।

पांच सशस्त्र बदमाशों ने दादी की तेरहवीं में जा रहे कार सवार छह सदस्यों को बंधक बनाया। लूटपाट कर पिस्तौल के बल पर तीन पुरुषों के हाथ-पैर बांध दिए और मां-बेटी से दरिंदगी की।बेटी के पिता ने बताया कि बेटी को मार्शल आर्ट्स आता था। वह आधे घंटे तक बदमाशों से जूझती रही। जब बदमाश उससे जीत नहीं सके तो उन्होंने उसके भाई और पिता को गोली मारने की धमकी दी।

इसके बाद उसकी आत्मरक्षा करने की हिम्मत जवाब दे गई। पीड़िता के पिता ने चेतावनी दी कि तीन माह में उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे तीनों जहर खाकर जान दे देंगे। उधर, रविवार को गिरफ्तार तीन दरिंदों को कोर्ट ने 14 दिन के लिए जेल भेज दिया।

दरिंदगी की पूरी कहानी पिता की जुबानी
'उस रात नौ बजे हम कार से दिल्ली स्थित घर से निकले। रास्ते से ताऊ के लड़के, भाभी और भतीजे को लिया। खाना खाकर रात 11.30 बजे शाहजहांपुर (दिल्ली से 340 किमी) के लिए निकले। बुलंदशहर (दिल्ली से 62 किमी) से दो किलोमीटर पहले ऐसा लगा कि गाड़ी में किसी ने कोई चीज मारी है। सोचा कोई पत्थर लगा होगा। ध्यान नहीं दिया।

थोड़ा आगे चलकर लगा कि गाड़ी से कोई चीज खुल गई है। गाड़ी रोकी व उतरकर देखा तो गाड़ी ठीक थी। तभी 5 लोगों ने आकर मुझे घेर लिया। कनपटी पर तमंचा रखकर बोले हाथ ऊपर करो। दो मिनट में मेरे हाथ बांध दिए। जो हमारे साथ लेडीज थीं, उन्हें गाड़ी में ही छोड़ दिया। हम तीनों लोगों को खेत के रास्ते ले गए। बांधकर जुवार के खेत में डाल दिया। खेत में हमें सरियों और हथौड़ों से मारा। पैसे पूछे तो हमने कहा जो तुमने लिए हैं, वही हैं। करीब 15 मिनट बाद कार को वे वहीं ले आए। बैग में सारा सामान देखने के बाद गालियां देने लगे।

हमें और लेडीज को गालियां देने लगे। जो पैसा-जेवर था वो पहले ही उतार लिया था। इसके बाद लेडीज को निर्वस्त्र कर उन्होंने तलाशी ली। मैंने कहा पैसा, जेवर ले लो लेडिजों को छोड़ दो, लेकिन नहीं माने। बोले पड़ा रह नहीं तो गोली मार देंगे। मेरी बेटी चिल्लाती रही- 'पापा.....पापा...बचा लो...'लेकिन हाथ-पैर बंधे होने से हम कुछ नहीं कर सके।

दरिंदों ने बच्ची और पत्नी से कहा कि किसी को कुछ बताया तो तुम्हारे पापा, तुम्हारे हसबैंड को गोली मार देंगे। मैंने उन्हें बताया कि हम दादी की तेरहवीं में जा रहे हैं। फिर भी उनको रहम नहीं आया। फिर गाड़ी स्टार्ट की। गाड़ी निकालने की कोशिश की तो फंस गई। इस पर वे लड़ने लगे। एक कहता है कि गाड़ी यहां लाने को मना किया था। फिर भी नहीं माना। फिर उन्होंने जुवार उखाड़कर गाड़ी ढंक दी। बोले, ट्रैक्टर लाएंगे उससे निकालेंगे। एक कहने लगा कि यहां कौन बैठेगा, तो दूसरे ने कहा कि यहां असलम बैठेगा। वो वहीं बैठ गया। हमने इसके बाद उससे पानी मांगा तो उसने बहुत मारा।

इसके काफी देर बाद हमारे भतीजे ने पापा के पैर खोलने की कोशिश की तो हमने कहा कि बेटा मत खोलो। ये मार देंगे। उसने कहा कि चाचा वो लोग यहां नहीं हैं। इसके बाद मैंने बेटी और पत्नी को आवाज लगाई तो उन्होंने जवाब दिया। हमें लगा कि अब यहां कोई नहीं है। इसके बाद भतीजे ने मुंह से रस्सी खोली।

फिर उसने हमें भी खोला। इसी बीच मेरी पत्नी और बेटी खुद को खोलकर आ गईं। बदमाश हमारे मोबाइल कार में ही फेंक गए थे। मैंने 100 नंबर पर फोन किया। 20 मिनट तक किसी ने फोन नहीं उठाया। फिर नोएडा में मित्र को फोन कर घटना बताई। उसने कंट्रोल रूम का दूसरा नंबर दिया।

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