रुपानी को अमित शाह के आतिथ्य सत्कार का मिला है पुरुस्कार

नईदिल्ली। गुजरात में भाजपा ने अपना सीएम चुन लिया है। नाम है विजय रूपानी। लोग जानना चाहते हैं कि विजय रूपानी में ऐसी कौनी सी खूबी है जो उन्हें विरोध के बावजूद गुजरात का सीएम चुना गया। इसी बीच एक जानकारी यह भी सामने आई है कि जब सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह दर-ब-दर भटक रहे थे, तब विजय रूपानी ने उनको आसरा दिया था। रूपानी उन दिनों राज्यसभा में थे और शाह उनके सरकारी आवास पर काफी वक्त गुजारा करते थे। 

सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय विजय रुपानी के चयन को लेकर संतुष्ट लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन जिस तरह हुआ उसे लेकर वो खुश नहीं है। इसकी एक वजह ये है कि हालिया घटनाक्रम से राज्य में पटेल समुदाय के बीजेपी से दूर होने की आशंका। ये आशंका उस समय भी दिखी जब नितिन गडकरी ने दिल्ली में रुपानी के नाम की आधिकारिक घोषणा की। उनकी घोषणा के बाद पार्टी के नेताओं पर कोई खाश खुशी या उत्साह नहीं दिखा। फिर भी, शाह जो चाहते थे वो हो गया। 

जिस तरह से शाह ने अपने करीबी रुपानी को सीएम बनवाया उससे पार्टी के कार्यकर्ता और विधायक थोड़े चकित हैं। एक पूर्व मंत्री और बीजेपी सांसद कहते हैं, “रुपानी की वही भूमिका होगी जो यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह की थी। वो कुर्सी पर तो रहेंगे परंतु सरकार अमित शाह चलाएंगे, जैसे कि यूपीए में सोनिया गांधी चलाया करतीं थीं। 

अब खुलकर दिखाई देगी गुटबाजी
आनंदीबेन इस शर्त के साथ पद छोड़ने को तैयार हुई थीं कि उनके बाद नितिन पटेल को गुजरात का सीएम बनाया जाएगा और पार्टी में वरिष्ठता का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उनके समर्थकों की मानें तो पीएम मोदी और बीजेपी दोनों ही उनकी इन मांगों से सहमत थे। इसी वजह से नितिन पटेल का नाम भावी सीएम के तौर पर मीडिया में चलने लगा। शाह और उनके समर्थकों ने उस समय इस मसले पर कोई जवाबी कार्रवाई न करते हुए दम साधे रखा लेकिन अब गुजरात में भाजपा के अलग अलग गुट साफ दिखाई दे रहे हैं। ऐसा पहले भी हुआ है लेकिन अब भाजपा पूरे देश में सत्ताधारी दल है। इस बार की गुटबाजी क्या रंग लाएगी, यह वक्त ही बताएगा। 

अमित शाह ने वीटो लगा दिया था 
सूत्रों के अनुसार मोदी और शाह को उनका “इस्तीफे जैसी गंभीर काम के लिए ये अलहदा तरीका चुनना पसंद नहीं आया।” कहा जा रहा है कि इस बीच अमित शाह ने पीएम मोदी से कहा, “साहब, जीतवानी गारंटी हु अपु छु. बाढ़ू इकवार मारा पर छोड़ी दो.” (साहब, जितवाने की गारंटी हम पर छोड़ दीजिए, बाकी आप इसे मेरे पर छोड़ दीजिए)। शाह के कहने का छिपा आशय था 2019 में लोक सभा चुनाव जीतने के लिए मोदी को उत्तर प्रदेश और गुजरात विधान सभा चुनाव में जीत हासिल करनी जरूरी है। मोदी और शाह की आपसी चर्चा की परिणति बीजेपी संसदीय दल की बैठक में शाह को गुजरात का नया सीएम चुनने के लिए अधिकृत किए जाने के रूप में हुई। 

गैर पटेल गुजरात चाहते हैं अमित शाह
हालांकि 2, 3 और 4 अगस्त को आनंदीबेन ने पटेल विधायकों के साथ कड़वा और लेवुआ पटेलों को लामबंद करके पटेलों की ताकत दिखाने की कोशिश की लेकिन शाह अपना मन बना चुके थे। शाह को पूरा भरोसा था कि वो विधायकों को ये समझाने में कामयाब रहेंगे कि रुपानी सबसे बेहतर उम्मीदवार हैं। शाह को उनमें “किलर इंस्टिंक्ट” दिखती है। वो हरियाणा का “गैर-जाट”, महाराष्ट्र का “गैर-मराठा” और झारखण्ड का “गैर-आदिवासी” प्रयोग गुजरात में भी दोहराना चाहते थे। इसीलिए वो गुजरात में गैर-पटेल नेता चाहते थे। 

आनंदीबेन पहले गरम हुईं फिर भावुक
सीएम के नाम की घोषणा से पहले शुक्रवार शाम को शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों से बैठक की थी। ये पहला मौका था जब इस्तीफे के बाद आनंदीबेन और शाह आमने-सामने हो रहे थे। सूत्रों के अनुसार आनंदीबेन का पारा काफी गरम था। उन्होंने जमकर अपनी भडा़स निकाली। आनंदीबेन की शिकायत थी कि सीएम के तौर पर उनके कार्यकाल को पार्टी ने कम तवज्जो दी। बैठक में आनंदीबेन भावुक हो गईं और शाह पर दखलंदाजी करने को लेकर गंभीर आरोप लगाए। 

अब अमित शाह के हवाले गुजरात 
शाह ने उनके आरोपों को हल्के में नहीं लिया। रुपानी के नाम का प्रस्ताव पेश करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी गुजरात बीजेपी के अंदरूनी मामलों में दखल नहीं दिया। शाह के अनुसार पार्टी ने सीएम चुनने का जिम्मा उन्हें सौंपा है और उनकी पंसद रुपानी हैं। उनके ऐसा कहते ही संगठन सचिव वी सतीश संघ के नेताओं और पीएम मोदी से बात करने के लिए बाहर निकल आए। माना जा रहा है कि मोदी ने उनसे कहा कि गुजरात का अगला सीएम चुनने का जिम्मा अमित शाह को सौंपा गया है। इस तरह मोदी ने गेंद फिर से शाह के पाले में डाल दी। इसके बाद निराश आनंदीबेन के पास शाह के फैसले को स्वीकार करने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं था।

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