मप्र के शासकीय स्कूलों में स्टूडेंट्स को सिखाएंगे: यौन एवं शारीरिक शोषण से कैसे बचें

भोपाल। मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों में अब स्टूडेंट्स को यह भी सिखाया जाएगा कि वो विभिन्न प्रकार के शोषण को कैसे पहचानें और उनसे बचने के लिए क्या क्या करें। वो बताया जाएगा कि वो कहां कहां शिकायत कर सकते हैं और अपनी समस्याएं किस किस व्यक्ति से शेयर कर सकते हैं। 

स्कूल शिक्षा विभाग इसकी शुरुआत ऐसे स्कूलों से करेगा, जहां 100 से ज्यादा छात्र हों। पहले दौर में 25 हजार स्कूलों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा प्राचार्यों को अपने स्कूल में लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम और संबंधित प्रकाशन का संकलन करना होगा। साथ ही किसी भी प्रकार की घटना की जानकारी मिलने पर काउंसलर या नजदीकी थाने की पुलिस से संपर्क भी करना होगा। विभाग के अफसरों का कहना है कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य बच्चों को इस तरह की घटनाओं के प्रति जागरूक करना है ताकि वे अपनी परेशानी शिक्षकों व अभिभावकों को बता सकें और उनमें शिकायत करने की भावना जाग्रह हो।

शिक्षकों को भी देंगे प्रशिक्षण
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस व्यवस्था को लगातार चलाने के लिए शिक्षकों को अलग से प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि वे समय-समय पर स्कूल के छात्र-छात्राओं को लैंगिक अपराधों की जानकारी दे पाएंगे।

इसलिए कर रहे शुरूआत
विभागीय अफसरों का कहना है कि कई बार बच्चे यह समझ ही नहीं पाते कि उनका शोषण हो रहा है। यही नहीं, उन्हें इतना भयभीत कर दिया जाता है कि वे अपनी परेशानी को किसी से साझा नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में वे अंदर ही अंदर घुटने लगते हैं। इसी वजह से उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।

यह सिखाएंगे बच्चों को
यौन शोषण, शारीरिक शोषण और नशीले पदार्थों के सेवन के लक्षणों की पहचान।
कोई व्यक्ति उनके साथ गलत व्यवहार करता है तो ऐसी दशा में क्या कर सकते हैं।

क्या होगा फायदा
लक्षणों को पहचानकर छात्र-छात्राएं सतर्क रहेंगे।
वे खुद ही इनसे बचने के उपाय निकाल सकेंगे।
अवसाद की स्थिति निकलने में सहायक होगा।
बाल शोषण व अपराध के मामलों पर रोक लगेगी।
बच्चे अपनी सुरक्षा को लेकर सचेत हो सकेंगे।

बाल शोषण के मामले
प्रदेशभर से आए दिन बाल शोषण के मामले सामने आते हैं। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार पास्को एक्ट के तहत 2014 में 126, जबकि वर्ष 2015 में अगस्त तक 37 मामले दर्ज किए गए। वहीं बच्चों से दुष्कर्म के मामले भी बढ़े हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2012 में 1632, वर्ष 2013 में 2112, वर्ष 2014 में 2352 और 2015 में अक्टूबर तक 1215 प्रकरण सामने आए। देखा जाए तो चार साल में सबसे ज्यादा मामले 2014 में हुए।

जागरूकता है उद्देश्य
प्रदेश के 25 हजार प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के बच्चों और शिक्षकों को बाल उत्पीड़न रोकने व जागरूकता के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्राचार्यों को अपने क्षेत्र के काउंसलर, गैर सरकारी संगठनों और डॉक्टर्स से संपर्क करना होगा।
केपीएस तोमर, डिप्टी डायरेक्टर, राज्य शिक्षा केंद्र

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !