अध्यापकों को एकजुटता का ढोंग करने वाले नेताओं से बचना होगा

अरविंद रावल। प्रदेश के साढे तीन लाख अध्यापक कर्मचारियों के तेरह संग़ठन इस समय बने हुए है। इनमें से गिनती के दो तीन संगठन जमीनी हैं, बाकी सभी हवा हवाई, कागजी धरातल पर ही बने हुए हैं। इस समय एक बड़ी हास्यास्पद बात हो रही है, 31 तारीख को जब पहली बार विसंगतिपूर्ण गणना पत्रक जारी हुआ था तब अमूमन हर अध्यापक की यह इच्छा थी कि सभी संघो के नेता अध्यापक हित में एक मंच पर आकर इस विसंगति को तत्काल दूर करवायें। 

हमने इस दिशा में हर एक नेता से निवेदन किया की अध्यापकों की जन्दगी संवारने के खातिर एकजुट हो जाओ लेकिन तब हमारे इन नेताओ को अपनी अपनी नेतागीरी संवारने का बड़ा शोक था और इन सभी को बड़ा गुमान था की सीएम साहब का हाथ थामकर हम अपने दम पर सब करवा लगे चाहे जब। हमारे इन नेताओ का कितना वजूद है यह तो सब जानते हैं कि इन्हें सरकार के नौकरशाह इन्हें गणना पत्रक में क ख ग क्या है इसकी भनक तक नही लगने देते और जारी कर देते हैं और हमारे यह नेता दावा ही करते रहते की गणना पत्रक विसंगति पूर्ण नही आएगा। 

कल तक जब आम अध्यापक एकता की बात करते थे तो यह सभी नेता अपना अपना राग अलापते थे लेकिन जब सीएम हॉउस और वल्लभ भवन की चौखट पर हमारे यह सभी नेता अपने अपने वजूद को चमकाने के लिए नाक रगड़कर थक चुके हैं तब यह सब प्रांतीय नेता एकता की बात कर रहे हैं। अध्यापक नेताओं द्वारा अब एकता की बात करना सन्देहजनक लगती है। इनकी बातो से ऐसा लगता है कि एक बार फिर अध्यापकों को आंदोलन में झोक कर यह सभी अपना अपना वजूद जिन्दा रखना चाहते हैं। 

अगर अध्यापक नेताओ को एकजुटता करना है अध्यापक हित, में तो बेशक करे सभी संग़ठन। प्रदेश के अध्यापकों की और से इस नेक कार्य की शुभकामनाएं और निवेदन है कि अब सभी संघो के प्रांतीय नेता सिर्फ अपने बूते एकजुट होकर केवल अपने अपने प्रांतीय सदस्यों के साथ मिलकर बिना व्यक्तिगत श्रेय लिए विसंगति रहित गणना पत्रक जारी करवाये तब प्रदेश के साढे तीन लाख अध्यापक आपकी एकजुटता पर यकीन करेगे और आपकी हर लड़ाई में सहयोग करेगा। अगर बड़ी बड़ी बाते और दावे करने वाले हमारे तेरह ही अध्यापको संघो के प्रांतीय नेता एकजुट होकर भी विसङ्गतिपूर्वक गणना पत्रक जारी नही करवा सकते हे तो फिर ऐसे सभी नेताओ को कोई अधिकार नही रहता हे कि वे अध्यापको के नेतृत्त्व हेतु पदों पर बने रहे। मेरा एक अध्यापक की हैसियत से इतना ही अनुरोध हे अपने साथियो से की पहले हमारे नेताओ की एकता में कितना दम हे यह देखे की विसङ्गतिरहित गणना पत्रक यह स्वयं मिलकर भी जारी करवा पाते हे या नही। 

जब तक यह सभी मिलकर बिना व्यक्तिगत श्रेय के कामयाब नही हो जाते तब तक हम अध्यापकों को इन नेताओ की एकजुटता वाली बातो में आकर आंदोलन में कूदने से खुद को बचाना होगा। क्योंकि अचानक अध्यापको के सभी प्रांतीय नेताओ का एकजुटता का सुर अलापना बेईमानी सा लगता है। अब प्रांतीय नेताओ की विश्वसनीयता की परीक्षा है कि यदि वे अध्यापकों के नेता कहलाने का शोक पाले हे तो अपने दम पर ही कुछ करके दिखाये। अगर प्रदेश के साढे तीन लाख अध्यापको के विश्वास पर प्रांतीय नेताओ की एकता खरी उतरती हे तो यह अध्यापको के बढ़ाते भविष्य को सुनहरी करने की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगी एकजुटता।
अरविन्द रावल

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