नईदिल्ली। यूं तो पूरा पाकिस्तान ही इंडिया के मुसलमानों से डरता है परंतु एक मुसलमान ऐसा भी है जिसने पाकिस्तानी सरकारों की नाक में दम कर रखा है। यह आजकल की बात नहीं है। पिछले 32 साल से इस इंडियन मुलसमान का खौफ पाकिस्तानी सरकारों की नींद उड़ाता आ रहा है। इस वीर योद्धा का नाम है। अल्ताफ हुसैन, जो 1992 से लंदन में रहते हैं। इनकी एक पॉलिटिकल पार्टी है 'मुत्ताहिदा-ए-कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम)' जो पाकिस्तान में सक्रिय है। अल्ताफ इतने लोकप्रिय हैं कि टेलीकांफ्रेंस के जरिए पाकिस्तान में रैलियों को संबोधित करते हैं और कई बार 4-4 घंटे तक लोग शांतचित्त होकर अल्ताफ की आवाज सुनते रहते हैं।
अल्ताफ का परिवार भारत के आगरा शहर में रहा करता था। आजादी के बाद बंटवारा हुआ तो अच्छे दिनों की चाह में यह परिवार भी पाकिस्तान चला गया। अल्ताफ का जन्म 17 सितंबर, 1953 को पाकिस्तान के कराचीं शहर में हुआ। भारत से पाकिस्तान में बसने गए मुसलमानों को वहां मोहजिर कहा जाता है। अल्ताफ ने कराची विश्वविद्यालय से फ़ार्मेसी की पढ़ाई पूरी की। बहुत कम लोग जानते हैं कि पाकिस्तान की शुरूआती तरक्की में भारत से वहां पहुंचे मुसलमानों की मुख्य भूमिका रही। अल्ताफ का परिवार भी उन्हीं में से था। पाकिस्तान के तमाम प्रमुख पदों पर मुहाजिर बैठे थे। धीरे धीरे पाकिस्तानी मूल के मुसलमानों ने भारतीय मूल के मुसलमानों का विरोध शुरू कर दिया।
70 के दशक में पाकिस्तान की तमाम व्यवस्थाओं पर पाकिस्तानी मुसलमानों का कब्जा था और मुहाजिरों को बेदखल कर दिया गया था। अल्ताफ इन्हीं मुहाजिरों के एकमात्र लेकिन सबसे लोकप्रिय नेता हैं। अल्ताफ ने पाकिस्तानी सरकारों की नाक में दम कर रखा है। उनकी पॉलिटिकल पार्टी 1984 में अस्तित्व में आई थी। तब से लेकर आज तक अल्ताफ पाकिस्तान में बनी हर सरकार के लिए संकट बने रहते हैं। अल्ताफ पाकिस्तान में मुजाहिरों को बराबरी का हक दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। 1992 से अल्ताफ को लंदन की नागरिकता मिल चुकी है। वो अपनी जिंदगी में कभी भारत नहीं रहे लेकिन पाकिस्तान की सरकारें आज भी उन्हें भारतीय मुसलमान मानतीं हैं और खुलेआम आरोप लगातीं हैं कि अल्ताफ और उनकी पार्टी को भारत की खुफिया ऐजेन्सियां संरक्षण और फंड उपलब्ध करातीं हैं।