शशांक मिश्राजी को हमेशा मिस करेगा सिंगरौली

विवेक कुमार सिंह/सिंगरौली। जिस दिन सिंगरौली की कमान श्री शशांक मिश्रा आईएएस ने बतौर कलेक्टर सम्हाली तब ज्वॉइन करने के अगले दिन ही वो अपने पूरे एक्शन में थे। उनके द्वारा की गई कार्रवाई को लोगों ने नया-नया दिखावा माना था जैसा कि आमतौर पर सभी नए अधिकारी करते हैं लेकिन दिन बीतते गए मिश्रा जी की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया। हां बदलाव आया तो उन लोगों में जो अपने कर्तव्यों से विमुख थे। समय पर न खुलने वाले विद्यालय समय से खुलने लगे। शिक्षक समय से विद्यालय जाने लगे, आँगनवाड़ी समय से खुलने लगीं, स्वास्थ्य केन्द्र समय से खुलने लगे। पंचायत सचिव, पटवारी सब अपनी-अपनी ड्यूटी  सुचारु रूप से करने लगे। 

"अनुश्रवण संवाद" के माध्यम से जनता से सीधे रुबरु होना उनकी एक खास पहचान बन गई। संवाद में प्राप्त शिकायतों को अपनी डायरी में लिखना और अगले संवाद तक उन शिकायतों को दूर करने का निर्देश देना और शिकायतों का निराकरण न करने वाले संबंधित विभाग पर कार्रवाई करना ये उनकी कार्यशैली की एक विशिष्ट पहचान थी। 

रैंडम सिस्टम से ज़िले के 10 स्कूलों की हर माह आकस्मिक परीक्षा लेना उनके द्वारा शैक्षणिक सुधार के लिए उठाया गया एक बेहतरीन कदम था। ज़िले के हर व्यक्ति तक योजनाओं की पहुँच उनकी पहली प्राथमिकता थी। मिश्रा जी का तबादला अब बैतूल ज़िले के लिए हो गया है पर सिंगरौली को उनकी कमी हमेशा खलेगी। समय की पाबंदी उनकी विशिष्ट पहचान थी। मिश्रा जी को हम सभी की शुभकामनाएं।
        
"कोशिश कर हल निकलेगा, आज नहीं तो कल निकलेगा, 
अर्जुन के तीर सा साध, मरुस्थल से भी जल निकलेगा।"

विवेक कुमार सिंह 
सहायक अध्यापक,
शासकीय प्राथमिक पाठशाला परसौना

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