नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने पीएम का भाषण डेढ घंटा सुना। उम्मीद थी कि इंसाफ के लिए भी कुछ कहेंगे, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बोला। ठाकुर ने कहा कि अंग्रेजों के वक्त भी दस साल में इंसाफ मिल जाता था लेकिन अब सालों लग जाते हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए CJI टीएस ठाकुर ने कहा, 'मैं कोर्ट में और बाहर बड़ी बेबाकी से बोलता हूं। जहां आ गया हूं, उससे आगे जाने की ख्वाहिश नहीं। इसलिए दिल से बोलता हूं। मुझे सच बालने से डर नहीं लगता है। मैं अपने कॅरियर के सर्वोच्च पर हूं।'
उन्होंने कहा, 'कानून मंत्री से भी हमको बहुत सी उम्मीदें थी। जजों की नियुक्ति में देरी से गरीब इंसाफ से वंचित होंगे।' उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबी रेखा का पैमाना बनाया है वो सिर्फ दो वक्त की रोटी का बनाया है। 26 रुपए गांवों में और 52 रुपए शहर में तय किया है. इससे क्या होगा? ये बड़ी चुनौती है। MA पास आदमी चपरासी की नौकरी करने को मजबूर है। सही में आजादी गरीबी से और शोषण से आजादी है लेकिन 70 साल में गरीबी के नीचे 40 करोड़ लोगों को ले आए।
उन्होंने कहा, '15 अगस्त का दिन बहुत अहम है। मैं ये कह कर उसकी अहमियत को कम नहीं करना चाहता कि हमने क्या किया, क्या करने वाले हैं। लोग देखते हैं, जानते हैं कि कौन क्या कर रहा है।' इसी क्रम में उन्होंने एक शेर भी कहा- 'गुल फेंके औरों पर, समर यानी फल भी/ए अब्रे करम ए बेरे सखा कुछ तो इधर भी।' इसी के साथ उन्होंने कहा कि सबको पता है कौन क्या कर रहा है?'