दैनिक वेतनभोगियों से धोखा करने रही है सरकार, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका

भोपाल। 15 अगस्त को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दैनिक वेतनभोगियों के नियमितीकरण को लेकर घोषणा करने वाले हैं, इधर दैनिक वेतन कर्मचारी महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका ठोक दी है। महासंघ का कहना है कि सरकार नियमितीकरण नहीं कर रही बल्कि नियमित वेतनमान देने वाली है। दोनों में अंतर है। इसके अलावा सरकार 12 साल पहले जबलपुर हाईकोर्ट की लोकअदालत में हुए समझौते का भी पालन नहीं कर रही है। 

दैवेभो को रेगुलर करने के मामले में दैनिक वेतन कर्मचारी महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। महासंघ ने याचिका में 31 जनवरी 2004 को जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को आधार बनाया है। महासंघ के प्रांताध्यक्ष गोकुल चंद्र राय और राजवीर प्रसाद शर्मा द्वारा दो अलग- अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। राय ने बताया कि याचिका में जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा 12 साल पहले आयोजित लोक अदालत में दिए गए आदेश को आधार बनाया गया है। इसमें दैवेभो कर्मचारियों और सरकार के बीच हुए समझौते का हवाला दिया गया है। 

राय ने बताया कि उस वक्त दैवेभो के अध्यक्षीय मंडल के तत्कालीन उपाध्यक्ष एमडब्ल्यू सिद्दीकी ने कर्मचारियों की ओर से एडवोकेट जनरल आरएन सिंह ने सरकार की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि दैवेभो को रेगुलर करने के लिए जब भी सरकार पॉलिसी बनाएंगी या नियमितीकरण करेगी तो इन कर्मचारियों को रेगुलर करना पड़ेगा। इस अधिकार से इन्हें वंचित नहीं रख सकते। 

राज्य सरकार ने इसके लिए कोई नीति ही नहीं बनाई। सुप्रीम कोर्ट के वकील परमानंद पांडेय ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद के तहत 137 के तहत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है। महासंघ का कहना है कि नियमित वेतनमान देना और नियमितीकरण में फर्क है। सरकार कुछ कर्मचारियों को ही रेगुलर वेतनमान देने की तैयारी कर रही है। राज्य सरकार सभी दैवेभो को रेगुलर ही नहीं कर रही है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !