ओरिएंटल कॉलेज जमीन कांड में कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा

भोपाल। ओरिएंटल कॉलेज को 115 करोड़ की जमीन कोड़ियों के दाम दिए जाने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा के खिलाफ आज वित्तमंत्री जयंत मलैया ने मानहानि का मुकदमा ठोक दिया है। इस मामले में मिश्रा ने वित्तमंत्री की धर्मपत्नि सुधा मलैया को 25 प्रतिशत का पार्टनर बताया था। जबकि ओरिएंटल समूह की ओर से सफाई दी गई थी कि उन्होंने इस जमीन के आवंटन के लिए कभी आवेदन ही नहीं किया। 

वित्तमंत्री जयंत मलैया ने मंगलवार को जिला कोर्ट में प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। मलैया के साथ उनकी पत्नी सुधा भी थीं। केके मिश्रा ने ओरिएंटल इंजीनियरिंग कॉलेज  पर सरकार की बेशकीमती 115 करोड़ रुपए कीमत की 110 एकड़ जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। मिश्रा ने कहा था कि इसमें वित्त मंत्री जयंत मलैया ने मदद की है।

यह है पूरा मामला...
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने पिछले दिनों पीसीसी में आयोजित पत्रकारवार्ता में कहा कि उक्त ट्रस्ट पर वर्ष 2007-08 में आयकर विभाग द्वारा छापा डाला गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास इसके प्रमाण है कि ओरिएंटल ग्रुप के मालिक केएल ठकराल द्वारा संचालित ‘देवी शकुंतला ठकराल चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट’ ने भोपाल के हलका नं. 23 अमझरा, खसरा नं. 17, ग्राम बांसिया में 42.840 हेक्टेयर एवं खसरा नं. 74 में 3.480 हेक्टेयर भूमि, कुल रकबा 46.320 हेक्टेयर भूमि संस्थान को आवंटित किए जाने के लिए जिला प्रशासन को 28 दिसम्बर, 2015 को आवेदन किया।

इस पर कलेक्टर निशांत वरवड़े ने उसे उसी दिन एसडीएम माया अवस्थी को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके बाद 2 जनवरी, 2016 को एसडीएम ने हल्का पटवारी को जांच हेतु आदेशित किया और 30 जनवरी, 2016 को हलका पटवारी द्वारा नायब तहसीलदार सुधाकर तिवारी को सौंपी गई जांच में यह दर्शाया कि उक्त भूमि में झुग्गी बस्ती के लोगों के साथ अन्य लोग भी निवासरत हैं। उक्त भूमि पर एक मंदिर भी है, जो विवादित हैं। पुनः जांच किए बिना 31 जनवरी, 2016 को इस संस्थान के लिए भूमि देने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस संस्थान में वित्त मंत्री जयंत मलैया की पत्नी भी 25 प्रतिशत की हिस्सेदार हैं और इसमें वित्तमंत्री का भी निवेश है।

इनका तर्क...
इन आरोपों के बाद ओरिएंटल ग्रुप के चेयरमैन प्रवीण ठकराल ने सफाई दी थी कि उन्होंने जमीन आवंटन के लिए आवेदन ही नहीं किया था तो जमीन कैसे मिल गई? वहीं वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा था कि किसी भी शिक्षण संस्थान को जमीन आवंटित की जाती है, तो कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से जमीन की कीमत का निर्धारण किया जाता है। इसमें पारदर्शिता बरती जाती है। कांग्रेस के जो आरोप हैं, उसमें सच्चाई नहीं है। कुछ भी कहने से पहले उसकी प्रामाणिकता परख लेनी चाहिए।

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