भोपाल। 12 साल से एक ही जनपद में जमे पंचायत सचिवों को हटाने के फैसले से सरकार पीछे हट गई है। अब सिर्फ उन्हीं पंचायत सचिवों का तबादला जनपद पंचायत से बाहर होगा, जिन्हें बीते तीन साल में सजा मिली हो या आर्थिक अनियमितता के आरोपों की जांच के घेरे में हों।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने तबादला नीति में सोमवार को संशोधन कर दिया। इसकी मांग पंचायत सचिव संगठन भी कर रहा था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने दो दिन पहले जारी पंचायत सचिव की तबादला नीति में 12 साल से एक जनपद में काम कर रहे पंचायत सचिवों को हटाने का फैसला किया था।
पंचायत सचिव संगठन ने इसके खिलाफ 16 अगस्त को मंत्रालय और विभागीय मंत्री के बंगले के घेराव की घोषणा की थी। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने मंत्रालय में विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव से भी मुलाकात कर इस प्रावधान से होने वाली समस्या बताई। हालांकि, मुलाकात से पहले ही भार्गव ने अधिकारियों के साथ चर्चा कर नीति को संशोधित करने के निर्देश दे दिए थे।