मप्र के जनसंपर्क संचालनालय ने डुबाई मुख्यमंत्री की ब्रांड इमेज

भोपाल। हर महीनें सैंकड़ों करोड़ का खर्चा करने वाले जनसंपर्क विभाग का केवल एक ही टारगेट होता है। मुख्यमंत्री की छवि को साफ बनाए रखना। इसके लिए जनसंपर्क विभाग अखबारों और टीवी चैनलों को करोड़ों के विज्ञापन जारी करता है। नेगेटिव न्यूज रोकने के लिए बिना जरूरत वाले विज्ञापन भी जारी किए जाते हैं परंतु इस बार मप्र के जनसंपर्क विभाग ने ही मुख्यमंत्री की ब्रांड इमेज मटियामेट कर डाली। जो 2 फोटो देश भर में वायरल हो गए हैं, वो जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए थे। शिवराज सिंह के चेहरे पर यह एक ऐसा दाग लगा है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकेगा। 

क्या काम है जनसंपर्क विभाग का
मप्र के जनसंपर्क विभाग का मूल काम शासन की कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुंचाना है। इसके लिए जनसंपर्क विभाग अखबारों और टीवी चैनलों को विज्ञापन जारी करता है। होर्डिंग्स लगवाए जाते हैं। मेलों का आयोजन होता है। नुक्कड़ नाटक और दूसरे कई तरह के आयोजन किए जाते हैं। दीवारों पर शासन की योजनाएं पुतवाई जातीं हैं। ऐसे सभी माध्यमों का उपयोग किया जाता है जो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाए। पॉलिटिकल प्रेशर के कारण जनसंपर्क विभाग अब योजनाओं की प्रचार प्रसार पर कम मुख्यमंत्री के फोटो और समाचार प्रसार पर ज्यादा फोकस कर रहा है। अपनी विभागीय जिम्मेदारी से एक कदम आगे बढ़ते हुए यह विभाग मुख्यमंत्री के खिलाफ छपने वाली खबरों को भी रोकने लगा है। मीडिया को ब्लैकमेल किया जाता है। यदि सीएम के खिलाफ छापा तो विज्ञापन नहीं मिलेंगे। चूंकि विभाग के पास बेतहाशा बजट होता है इसलिए बड़े बड़े मीडिया घराने भी लोकतंत्र की सेवा छोड़कर विभागीय मांगें पूरी करते रहते हैं। 

हो क्या रहा है जनसंपर्क विभाग में
इन दिनों जनसंपर्क विभाग में कमीशनखोरी हावी हो गई है। एकाध बड़े मीडिया संस्थान को छोड़ दिया जाए तो बिना कमीशन किसी भी प्रकार का बजट पास नहीं किया जाता। फिर चाहे वो मीडिया को दिए जाने वाले विज्ञापन हों या एनजीओ को दिए जाने वाला फंड। इस विभाग की रगों में कमीशनखोरी इस कदर घुस गई है कि विभाग अपने सारे काम ही भूल गया है। अब वो मुख्यमंत्री की इमेज बनाए रखने का काम भी नहीं कर रहा है। यही कारण रहा कि विभाग के अधिकारी ध्यान ही नहीं दे पाए और शिवराज सिंह के वो फोटो जारी हो गए जो कतई नहीं होना चाहिए थे। 

होना क्या चाहिए
मुख्यमंत्री की यात्राओं का कवरेज, जनसंपर्क विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। कमिश्नर से लेकर भोपाल के कई अधिकारी/कर्मचारी एक एक शब्द की समीक्षा करते हैं। कोई भी फोटो जारी होने से पहले कई स्तर पर परखा जाता है, लेकिन विभाग इन दिनों इस प्रक्रिया पर ध्यान ही नहीं दे रहा। दोनों फोटो जिस स्थल पर लिए गए वहां केवल जनसंपर्क विभाग का फोटोग्राफर था। चाहते तो रोका जा सकता था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और दोनों फोटो जारी कर दिए गए। 

अब क्या करें
बहुत जरूरी हो गया है कि जनसंपर्क संचालनालय भोपाल में बैठे तमाम अधिकारी/कर्मचारियों को बदल दिया जाए। यह एक बड़ी सर्जरी होगी, लेकिन यदि शिवराज सिंह चाहते हैं कि चौथी पारी भी खेलें तो यह अनिवार्य हो गया है, क्योंकि हर रोज लाखों कमाने के आदतन हो चुके अधिकारी/कर्मचारियों से अब वापस पुरानी परंपरा निभाने की उम्मीद नहीं की जा सकती। 

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