अब तक 9 दिग्गज नेताओं को ढेर कर चुकी है रायसेन की तोप

रायसेन। इसे अजीब संयोग कहा जाए या फिर कोई वास्तुदोष, बीते दो दशकों में चाहे सरकार किसी की भी रही हो लेकिन जिले में प्रभारी मंत्री की जिम्मेदारी जिसे भी मिली उसे राजनीति में ठोकर खाना पड़ी है। दो नेताओं को अपवाद के रूप में अगर छोड़ दिया जाए तो 20 सालों में 9 नेताओं का राजनीतिक कैरियर गर्दिश में पहुंच गया है। 

दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहते जिले के प्रभारी मंत्री रहे जसवंत सिंह रघुवंशी 'बडे भैया' का कभी जिले में ऐसा भी दौर रहा है कि उनकी मर्जी के बिना जिले की सत्ता और संगठन में पत्ता भी नही हिला और अब हालात यह है कि वे खुद कांग्रेस की राजनीति में कहां खो गए हैं कार्यकर्ताओं को ही नहीं पता। 

इसी तरह से जिले के प्रभारी मंत्री रहे कांग्रेस के रघुवीर सिंह सूर्यवंशी, वीरसिंह रघुवंशी, बद्रीलाल यादव लक्ष्मीकांत शर्मा, गंगारम पटेल, करण सिंह वर्मा, बृजेन्द्र प्रताप सिंह, बाबूलाल गौर के सितारे लंबे समय आसमान में रहे लेकिन रायसेन का प्रभारी मंत्री बनने के बाद सब गर्दिश में पहुंच गए।

रामपाल भी हारे चुनाव, आरिफ अकील बेअसर 
जिले का प्रभारी मंत्री बनने के बाद एकमात्र आरीफ अकील ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने कोई चुनाव नही हारा। वर्तमान में अगर देखा जाए तो अपवाद के रूप में दो नाम आरीफ अकील और मुख्यमंत्री के बेहद नजदीकी नेता रामपाल सिंह राजपूत हैं, जो अब भी विधायक हैं। 2005 में बाबूलाल गौर की सरकार में पीएचई राज्य मंत्री के साथ कुछ महीनों के लिए जिले के प्रभारी मंत्री रहे रामपाल सिंह भी 2008 का चुनाव महज कुछ अंतर से हारकर जिले के प्रभारी मंत्री रहने के अपशगुन से नहीं बच पाए हैं। 2013 के चुनाव में जीत के बाद वे फिर से सरकार में मंत्री बने और शिव का आशीर्वाद पाकर राम एक बार फिर प्रदेश के कद्दावर मंत्रियों में शामिल हो पाए।

गौर ने पूरा किया परहेज लेकिन इस्तीफा देना पड़ गया
यूं तो प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री के रूप में लगभग एक साल प्रदेश की सरकार भी चलाई है, लेकिन जिले का प्रभार मिलते ही वे भी रायसेन आने से इसलिए बचते रहे कि कहीं ग्रह और राशि के फेर में पड़कर उन्हें भी वनवास न झेलना पड़े। वे केवल जिला योजना समिति और जिला सतर्कता एवं मूल्यांकन की बैठक तक ही सीमित रहे, लेकिन पूर्व के प्रभारी मंत्रियों की तरह उनके दामन में भी नुकसान ही आया और उन्हें जिले का प्रभारी मंत्री रहते हुए ही सरकार से बेदखल होकर राजनीतिक वनवास झेलना पड़ा।

अब क्या सूर्यप्रकाश मीणा की बारी 
जिले के प्रभारी मंत्री की कमान अब मुख्यमंत्री के सबसे खास माने जाने वाले सूर्यप्रकाश मीणा को मिली है। ज्योतिषाचार्य नंदकिशोर सक्सेना के अनुसार उनकी राशि कुंभ है, जबकि रायसेन की राशि तुला है। कुंभ का स्वामी ग्रह शनि है जबकि तुला का स्वामी ग्रह शुक्र है। शनि वैराग्य का कारक माना जाता है जबकि शुक्र को भोग का स्वामी मानते हैं। इसलिए शुक्र और शनि की आपस में नही बनती है, जो सूर्य प्रकाश मीणा के लिए आगे परेशानी का कारण बनेगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्री मीणा को यहां का प्रभार छोड़ना पड़ सकता है।

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