उत्तरप्रदेश के 16 लाख कर्मचारी हड़ताल पर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनल तले राज्य के कर्मचारी और शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बुधवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों के करीब 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं।

हड़ताल से कई विभागों में कामकाज पर इसका व्यापक असर दिखाई दिया। परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के कर्मचारी काम पर नहीं आए। हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। दूर से आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया, "हड़ताल को प्रदेश के करीब 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों का समर्थन हासिल है। हड़ताल में 16 लाख से अधिक कर्मचारी शामिल हैं।"उन्होंने बताया कि पिछली बार जब लक्ष्मण मेला मैदान में रैली का ऐलान किया गया था, तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन ने आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने के बाद इस मुद्दे पर बात की जाएगी। आश्वासन मिलने के बाद तब हड़ताल समाप्त कर दी गई थी।

हरिकिशोर के मुताबिक, गत 13 जुलाई को जब परिषद ने मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव किया तब वर्तमान मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने दो प्रमुख मांगों को अगली कैबिनेट की बैठक में रखे जाने का भरोसा दिया था, लेकिन मुख्य सचिव अपना वादा पूरा नहीं कर पाए।ज्ञात हो कि कर्मचारियों की जिन मांगों पर औपचारिक सहमति बन चुकी है, उनमें मुख्य तौर पर केंद्रीय कर्मचारियों के समान मकान का किराया भत्ता देना तथा पुरानी पेंशन नीति बहाल करना शामिल हैं। 

उधर, सफाईकर्मी भी अपनी मांगों को लेकर इस हड़ताल में शामिल हो गए हैं। उत्तर प्रदेश सफाई कर्मचारी संघ के नेता जगदीश वाल्मीकि ने बताया कि प्रदेश में करीब 65 हजार सफाई कर्मचारी हैं, जो इस हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं।उन्होंने बताया कि सफाईकर्मियों की मांग है कि नगर विकास विभाग की ओर से जारी शासनादेश में संविदा सफाई कर्मचारी के पदों पर नियुक्ति के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था को निरस्त किया जाए और नियुक्ति की ठेका प्रणाली तत्काल बंद की जाए।

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