इंदौर। 29 मार्च 2015 का वो जुलूस कांड आपको याद होगा, जिसमें फंसे बीमार इंजीनियर विशाल मंडलोई की मौत हो गई थी। सीएम शिवराज सिंह ने 1 साल बाद इस मामले में मृत इंजीनियर की पत्नी को 1 लाख रुपए मुआवजा देने की पेशकश की है, वो भी तब जब मामला हाईकोर्ट में चल रहा है और अवमानना याचिका दायर हो चुकी है।
यह था घटनाक्रम
स्नेहलतागंज क्षेत्र निवासी विशाल मंडलोई की 29 मार्च 2015 को मौत हो गई थी। सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद पत्नी ऋचा उन्हें ऑटो रिक्शा से अस्पताल ले जा रही थी, लेकिन जवाहर मार्ग पर एक जुलूस के कारण करीब पौन घंटा तक रिक्शा जाम में फंसा रहा। इस कारण ऑटो समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सका। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों का कहना था समय पर अस्पताल ले आते तो जान बचाई जा सकती थी।
फिर मचा था बवाल
इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में बवाल मच गया था। इस तरह के जाम लगाने वाले जुलूसों पर पाबंदी की मांग की गई थी। सरकार की ओर से भी कई संवेदनशील बयान आए थे परंतु मृत इंजीनियर के परिवार की सुध सरकार ने नहीं ली। मामला कोर्ट में पहुंचा। 16 नवंबर 2015 को कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया था कि तीन महीने के भीतर मृतक के परिजन को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए, लेकिन प्रशासन ने कोई मुआवजा नहीं दिया।
अब लगी है अवमानना याचिका
लगभग डेढ़ साल से ऋचा मंडलोई शासन से अपना हक मांग रही है। मुआवजा देने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऋचा ने कलेक्टर को आवेदन दिया था कि उसे सरकारी नौकरी और मुआवजा दिया जाए। इस पर शासन ने चार महीने तक कोई जवाब नहीं दिया। इस पर लॉ के विद्यार्थी अभिषेक गिलके ने अवमानना यचिका दायर की।
कलेक्टर ने कोर्ट को यह बताया
कलेक्टर पी. नरहरि ने जवाब दिया कि ऋचा ने जनवरी में कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए मुआवजे और नौकरी का आवेदन दिया था। इसकी सूचना सीएम कार्यालय को दो दी थी। वहां से हाल ही में जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इसकी सूचना पत्र के जरिए ऋचा को दे दी है।
बीमा कंपनियों के मुताबिक बनते हैं 45 लाख
बीमा कंपनियों के वकीलों के मुताबिक इस तरह के दुर्घटना के मामलों में मुआवजा राशि करीब 45 लाख रुपए बनती है। मृतक की उम्र, उसकी वार्षिक आय और गुणक से यह राशि तय की जाती है।