भोपाल। MPPSC-2012 में हुए पेपर लीक कांड को लेकर आज कांग्रेस ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया। उन्होंने सरकार पर इस मामले में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। इस मामले में अब तक 23 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं परंतु कांग्रेस का कहना है कि माफिया अब भी जांच की जद से बाहर है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार को MPPSC-2012 परीक्षा निरस्त कर दी जानी चाहिए थी, परंतु नहीं की गई। हाईकोर्ट में भी सरकार ने अपना पक्ष कमजोर किया। सुप्रीम कोर्ट में अपील करना चाहिए, लेकिन नहीं की जा रही।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत और महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से राज्य सेवा परीक्षा 2012-13 की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के पेपर लीक होने का मामला उठाया। सामान्य प्रशासन मंत्री लाल सिंह आर्य ने उत्तर में कहा कि पेपर लीक होने की जानकारी मिलते ही आयोग ने साक्षात्कार पर रोक लगा दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश पर साक्षात्कार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि न्यायालय ने तीन माह में साक्षात्कार आयोजित करने और अभ्यर्थियों से यह अंडरटेकिंग लेने के निर्देश दिए थे कि यदि उन्हें किसी कदाचार में शामिल पाया जाता है तो उनकी उम्मीदवारी निरस्त की जाएगी।
रावत ने सवाल उठाया कि पीएससी की आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी परीक्षा को पेपर लीक होने पर निरस्त कर दिया गया, लेकिन राज्य सेवा परीक्षा क्यों निरस्त नहीं की गई। सरकार को परीक्षा निरस्त कराने उच्चतम न्यायालय जाना चाहिए था।
कालूखेड़ा ने आरोप लगाया कि व्यापमं की तरह पीएससी भी बदनाम हो गई है। सरकार उच्च न्यायालय में ठीक से अपना पक्ष नहीं रख पाई और अब उच्चतम न्यायालय भी नहीं जा रही। उन्होंने जानना चाहा कि पेपर लीक के दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई और कौन इसमें शामिल था।
आर्य ने बताया कि पेपर लीक कांड में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने मुख्य आरोपी बेदीराम सहित 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने दोहराया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर साक्षात्कार हो रहे हैं। कांग्रेस सदस्य उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए और नारे लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।