भाषणों का बाज़ार, बदहाल उत्तर प्रदेश

राकेश दुबे@प्रतिदिन। चुनाव की दहलीज़ पर खडा उत्तर प्रदेश आज जिस गहरे राजनीतिक और आर्थिक संकट में फंसा हुआ है उसमें से उसे बाहर निकालना आसान नहीं है, यह अलग बात है की दावे सब कर रहे हैं। राजनीतिक दृष्टि से यह प्रदेश जिस तरह विभिन्न जातियों और वर्गों में बंटा हुआ है, उसे और बढ़ा कर प्रदेश के राजनेता अपनी राजनीति चमका रहे हैं। प्रदेश के विकास और जनता को न्याय दिलाने में राज्य सरकारें अब तक  विफल साबित हुई हैं। उत्तर प्रदेश की आर्थिक बदहाली गहरे संकट का संकेत दे रही है। उस पर इस साल के अंत तक 37 खरब, 50 अरब, 50 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो जाएगा, जो प्रदेश के कुल वार्षिक बजट से भी ज्यादा होगा। राज्य में गैर-योजनागत कार्यों पर खर्च सकल घरेलू उत्पाद का साठ प्रतिशत तक पहुंच गया है और विकास कार्यों पर चालीस फीसद धनराशि भी नहीं खर्च हो रही है। राजस्व घाटा लगातार बढ़ रहा है।

सरकार पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का बोझ बढ़ रहा है। राज्य को हर महीने वेतन, पेंशन और ब्याज की अदायगी के लिए जितनी रकम चाहिए उसकी आधी रकम भी प्रदेश में राजस्व वसूली से प्राप्त नहीं हो रही है।

केंद्र सरकार से जिस दिन उत्तर प्रदेश को ओवर ड्राफ्ट मिलना बंद हो जाएगा, उस दिन प्रदेश सरकार के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने की भी समस्या पैदा हो जाएगी। प्रदेश की नौकरशाही राज्य पर बोझ बन चुकी है और राजनीतिक लोकतंत्र का तब तक कोई मतलब नहीं होता जब तक उसमें आर्थिक लोकतंत्र को स्थापित करने की क्षमता न हो।

बिगड़ती कानून व्यवस्था, बिजली-पानी का संकट, प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली को सुधारने की कोई इच्छाशक्ति प्रदेश के राजनेताओं में दिखाई नहीं दे रही है। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार अगर आम जनजीवन के हितों को केंद्र में रख कर काम नहीं करती तो केवल वादों, नारों और दोषारोपण से प्रदेश को नहीं चलाया जा सकता है। राजनीतिक दलों ने प्रदेश को जिस तरह जातियों और धर्मों में खंडित-विखंडित किया है, उसकी मिसाल खोजनी मुश्किल है। उससे समूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ही प्रदेश की जनता का विश्वास उठता जा रहा है। उत्तर प्रदेश को आर्थिक बदहाली के इस मुकाम पर हमारे राजनेताओं ने ही पहुंचाया है। यहां के युवक रोजी-रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों में भटकते रहते हैं।राहुल गाँधी ने इस विषय को लेकर एक लम्बा भाषण भी दिया था। इस तरह के भाषणों का बाज़ार बन गया है उत्तर प्रदेश।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !