चीन अस्वाभाविक मित्र अर्थात...!

राकेश दुबे@प्रतिदिन। उत्तराखंड के चमौली के पास चीन की सैन्य हलचल को हल्की-फुलकी बात नहीं मानना चाहिए। भारत के पुराने और ताज़ा अनुभव यही कहते हैं। जिन देशों के साथ चीन का सीमा को लेकर विवाद है, वहां वह बीच-बीच में आक्रामक रुख अपना लेता है, लेकिन इस बात का भी ख्याल रखता है कि सीधे टकराव या फौजी कार्रवाई की नौबत नहीं आए। दक्षिण चीन सागर में भी चीन ने परिस्थितियां उस स्तर पर बनाए रखी हैं, जहां से जरा भी ज्यादा टकराव हो, तो सीधे युद्ध हो जाए। इस तरह चीन अपनी ताकत और आक्रामकता जताता रहता है और सामने वाले देश के संयम की परख भी करता रहता है।

चीन के इस व्यवहार की वजह शायद यह है कि वह लोकतांत्रिक देश नहीं है, इसलिए वह हर परिस्थिति को शक्ति संतुलन के अंदाज में ही देखता है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अपने देश में भी टकराव की बजाय बातचीत, सुलह और समझौते के तरीकों पर ज्यादा अमल करती हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय राजनय में भी वे इन तरीकों को ज्यादा आजमाती हैं। एकाधिकारवादी सत्ताएं अपने देश में भी किसी किस्म के विरोध को अपनी सत्ता के लिए चुनौती मानती हैं और उसे कुचलने के अलावा उन्हें दूसरा कोई रास्ता नहीं दिखता, इसलिए अंतरराष्ट्रीय राजनय में भी वे अपने से असहमत हर देश को अपनी ताकत का एहसास करवाने में जुटी रहती हैं।

ऐसी सत्ताओं का एक स्वभाव लगातार संदेह करना भी है और वे हर वक्त षड्यंत्र सूंघने की कोशिश करती हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इसीलिए चीन की स्वाभाविक मित्रता किसी देश से नहीं है, सिवाय पाकिस्तान या उत्तर कोरिया जैसे देशों के, जो वास्तव में उसके आश्रित देश हैं। अपने पड़ोसी आसियान देशों से भी उसके रिश्ते खराब हैं और दक्षिण चीन सागर में जितने क्षेत्रों पर चीन दावा करता है, उन क्षेत्रों में उसने बंदरगाह व फौजी ठिकाने बनाने का काम जारी रखा है। भारत की सीमा पर भी वह अपनी फौजी ताकत दिखाकर लौट जाता है।

चीन के साथ संबंध बनाए रखने में उसके इस स्वभाव को समझना जरूरी है। चीन यह भी मानता होगा कि वियतनाम और जापान जैसे देशों के साथ भारत दक्षिण और उत्तर चीन सागर में चीन विरोधी गठबंधन में शामिल है। आसियान देशों और जापान के साथ भारतीय रिश्तों का एक आधार चीन की महत्वाकांक्षा को रोकना तो है ही। चीन की कोशिश दक्षिण चीन सागर के अलावा हिंद महासागर में भी प्रभाव बढ़ाने की है, जिस वजह से भारत इन क्षेत्रों में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए सक्रिय है। इस वजह से चीन भारत को प्रतिद्वंद्वी मानता है और भारत की उत्तरी सीमा पर बीच-बीच में सक्रिय हो जाता है, हालांकि भारत की सुरक्षा के लिए ज्यादा बड़ा खतरा पाकिस्तान की सक्रियता से है, जो आतंकवादी गतिविधियों का इस्तेमाल करता है और जिसे चीन का समर्थन मिला हुआ है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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