नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश के बाद अब चीन उत्तराखंड में भी घुसने लगा है। 19 जुलाई को उसके सैनिक उत्तराखंड के चमोली जिले में घुस आए। इसके बाद एक लड़ाकू हेलीकॉप्टर भी भारतीय वायुसीमा में मंडराता रहा। शायद उसने कुछ तस्वीरें लीं और इलाके की रैकी की। बाद में वो चला गया। इधर चीनी सैनिकों ने अपने इलाके का मुआयना करने गए उत्तराखंड राज्य सरकार के अधिकारियों को यह कहते हुए भगा दिया कि यह हमारी जमीन है। घटना बाराहोती इलाके की है। चीनी सैनिक इस इलाके को ‘वू-जे’ के नाम से पुकार रहे थे।
हरीश रावत ने जताई चिंता, सरकार ने ITBP को किया तलब
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस घटना को ‘‘चिंता का विषय’’ करार देते हुए उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार सीमा पर निगरानी बढ़ाने के उनके अनुरोध पर ध्यान देगी। दूसरी ओर, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि आईटीबीपी को मामला देखने के लिए कहा गया है ।
2000 में सरकार का इकतरफा फैसला
बाराहोती उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से बने हुए ‘मध्य सेक्टर’ की तीन सीमा चौकियों में से एक है जहां जून 2000 में तत्कालीन सरकार के एकतरफा फैसले के मुताबिक आईटीबीपी के जवानों को अपने हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद आईटीबीपी के जवान गैर-लड़ाकू तरीके से अपने हथियारों के साथ इलाके में गश्त किया करते थे। इस तरह की गश्त के दौरान आईटीबीपी के जवान अपनी बंदूकों की नली नीचे करके रखते थे।
2000 में भारत ने लिया ये फैसला
सीमा विवाद सुलझाने को लेकर लंबे समय तक चली वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष एकतरफा तरीके से जून 2000 में इस बात पर तैयार हो गया कि आईटीबीपी के जवान उन तीन सीमा चौकियों में हथियार लेकर नहीं जाएंगे, जिनमें बाराहोती के अलावा हिमाचल प्रदेश की कौरिल और शिपकी चौकियां भी शामिल हैं। इसके बाद नई सरकार ने इस फैसले को आज तक नहीं बदला।
ITBP के जवान सिविल ड्रेस में करते हैं गश्त
आईटीबीपी के जवान सिविल ड्रेस पहनकर गश्त पर जाते हैं। बाराहोती के इस घास के मैदान में सीमाई गांवों के भारतीय गड़रिए अपनी भेड़ों और तिब्बत के लोग अपने याक चराने के लिए लाते हैं। चीन की तरफ से इस इलाके में होने वाले अतिक्रमण के कारण यह क्षेत्र चर्चा में रहा है।