मप्र में बिजली उपभोक्ताओं से 100 करोड़ की अवैध वसूली

बलबीर सिंह/ग्वालियर। प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों ने अपनी नाकामी उपभोक्ताओं पर थोप दी है। अपनी सीआर सुधारने व राजस्व वसूली का आंकड़ा बढ़ाने के लिए ये कंपनियां प्रदेश में हर महीने 13.65 लाख उपभोक्ताओं पर आकलित खपत व औसत बिल देकर करीब 100 करोड़ से अधिक की अवैध वसूली कर रही है।

मनमाने बिल देने के लिए इन उपभोक्ताओं के मीटर खराब बताए जा रहे हैं। घरेलू व गैर घरेलू उपभोक्ताओं को दिए जा रहे आकलित खपत व औसत बिल का खुलासा तीन कंपनियों के राजस्व वसूली पत्रक (आर-15) में हुआ है। इसके अनुसार मध्य, पूर्व व पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं को 200 से 300 यूनिट तक के गलत बिल जारी कर रही है।

शिकायत लेकर पहुंचने पर अधिकारी उसमें सुधार भी नहीं कर रहे हैं। इस कारण उपभोक्ताओं को आकलित खपत का बिल भरना पड़ रहा है।

मिलना था जुर्माना, उल्टा भरना पड़ रहा बिल
मीटर बदलने को लेकर बिजली नियामक आयोग ने समय सीमा निर्धारित की है। अगर सात दिन में मीटर नहीं बदलता है तो उपभोक्ता कंपनी से जुर्माना लेने का हकदार हो जाता है। प्रतिदिन के हिसाब 100 रुपए कंपनी को देने चाहिए, लेकिन कंपनियां 13 लाख मीटर खराब होने के बावजूद अवैध वसूली कर रही है।

सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतें बढ़ने पर ऊर्जा मंत्रालय ने तीनों कंपनियों को आदेश जारी किया था कि उपभोक्ताओं पर आकलित खपत नहीं लगाई जाए, लेकिन कंपनियों ने ऊर्जा विभाग के आदेश को भी नहीं माना।हाई कोर्ट भी आकलित खपत को अवैध ठहरा चुका है। एक जनहित याचिका पर ग्वालियर हाई कोर्ट ने इसे अवैध करार दिया था।

आपको किस आधार पर दिया बिल, ऐसे समझें
आपके बिल में पोल क्रमांक, मीटर क्रमांक, वर्तमान रीडिंग दिनांक व रीडिंग का प्रकार लिखा रहता है। इसमें बिल किस आधार पर भेजा गया, उसका उल्लेख किया जाता है।
अगर रीडिंग प्रकार नॉर्मल लिखा है तो कंपनी ने मीटर की रीडिंग कराई है। आपके घर तक कंपनी का मीटर रीडर आया है।
अगर रीडिंग का प्रकार असेस्ड बिल दिया है तो समझें कि आकलित खपत या फिर औसत आधार पर बिल दिया गया है। मीटर रीडिंग नहीं कराई गई है।

किस रीजन में कितने उपभोक्ताओं को आकलित बिल
ग्वालियर रीजन- 2.25 लाख। - भोपाल रीजन- 90 हजार। - इंदौर रीजन-1.19 लाख। - जबलपुर रीजन-3.23 लाख। - रीवा रीजन- 3.53 लाख। - सागर रीजन- 2.55 लाख।

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