नई दिल्ली। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी बीजेपी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम पर हमला बोलते हुए स्वामी ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग कर डाली। अरविंद पर स्वामी के आरोपों के बाद अरुण जेटली ने साफ कहा है कि राजनीतिज्ञों को अनुशासन में रहकर बात करनी चाहिए।
वित्त मंत्री अरुण जेटली तथा भारतीय जनता पार्टी तुरंत मुख्य आर्थिक सलाहकार के बचाव में उतर आए और स्वामी के बयान को खारिज कर दिया। यह उन अटकलों पर विराम लगाने का प्रयास था कि क्या स्वामी के बयान को सरकार या पार्टी में किसी का समर्थन हासिल है।
जेटली ने कहा अरविंद सुब्रमण्यम पर भरोसा
वित्त मंत्री ने अरविंद सुब्रमण्यम पर स्वामी के हमले को दरकिनार करते हुए यह कहकर उनका बचाव किया कि सरकार को उन पर पूरा भरोसा है और उनकी सलाह सरकार के लिये काफी कीमती होती है।
बीजेपी ने भी बयान से किया किनारा
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकान्त शर्मा ने कहा कि पार्टी स्वामी द्वारा सुब्रमण्यम की आलोचना से सहमत नहीं है और यह पूरी तरह से उनका व्यक्तिगत विचार है।
स्वामी ने ट्वीट में किया था हमला
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पूर्व अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम पर हमला बोलते हुए स्वामी ने आईएमएफ में रहते उनके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर की गई कुछ टिप्पणियों का हवाला दिया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने अक्तूबर, 2014 में सुब्रमण्यम को मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया था।
स्वामी ने ट्विटर पर कहा, ‘‘अमेरिकी कांग्रेस को 13 मार्च 2013 को किसने कहा था कि अमेरिकी फार्मा उद्योग के हितों की रक्षा के लिए भारत के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। अरविंद सुब्रमण्यम को वित्त मंत्रालय से उन्हें हटाया जाए।’’ स्वामी ने निशाना उस समय साधा है जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि अरविंद सुब्रमण्यम को देश के केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर राजन के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में माना जा रहा है।
अरविंद पर स्वामी ने लगातार आरोप लगाए
स्वामी ने सवाल किया, ‘‘अंदाजा लगाएं कि किसने कांग्रेसियों को जीएसटी के प्रावधानों पर दृढ़ रहने को कहा? जेटली के वाशिंगटन डीसी के आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम।’’ उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम ‘‘जेटली को हमारे खेमे में मौजूद दुश्मन की पहचान कराने में मदद कर रहे हैं।’’ स्वामी ने मुख्य आर्थिक सलाहकार के खिलाफ कई ट्वीट किए। उल्लेखनीय है कि अरविन्द सुब्रमण्यम प्रवासी भारतीय हैं।
आरोप पर आरोप जड़े
उन्होंने कहा, ‘‘अब ट्विटर पर मौजूद देशभक्त लोग समझ सकते हैं कि हमारे मुख्य आर्थिक क्षेत्र पिछले दो साल से अच्छा प्रदर्शन क्यों नहीं कर रहे। दुश्मन के लोग (ट्रोजन हॉर्स) वित्त मंत्रालय। वित्तीय संस्थानों में भरे पड़े हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अरविंद सुब्रमण्यम अमेरिका संसदीय समिति के सामने भारत के खिलाफ अमेरिकी नागरिक के तौर पर पेश हो रहे थे या किसी भारतीय के तौर पर। ट्विटर पर मौजूद देशभक्तों को पता है।’’ कांग्रेस ने स्वामी के बयान पर कहा कि उनका निशाना सुब्रमण्यम नहीं बल्कि वित्त मंत्री जेटली हैं। कांग्रेस ने पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वित्त मंत्रालय स्वामी को सौंपने जा रहे हैं।
जानकारों ने किए सवाल
स्वामी के इस ताजा हमले के बाद इन्फोसिस के पूर्व सहसंस्थापक टी वी मोहनदास पई ने कहा कि लोग अब यह पूछ रहे हैं कि देश कौन चला रहा है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि अब प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इस बारे में कुछ करें। यदि स्वामी के पास कोई प्रमाण है तो वे पार्टी में लोगों से बात कर सकते हैं कि वे क्या चाहते हैं। जो भी आप करना चाहते हैं चुपचाप करें।
जेटली ने कहा सरकारी स्वामी के बयान से सहमत नहीं
जेटली ने पार्टी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा स्वामी के विचारों से सहमत नहीं है। ‘उन्होंने कहा है कि वे स्वामी के विचारों से सहमत नहीं हैं।’’ वित्त मंत्री ने अरविंद सुब्रमण्यम का बचाव करते हुए कहा, ‘‘दरअसल, अभी-अभी कपड़ा एवं परिधान क्षेत्र के बारे में जो प्रस्तुति (मंत्रिमंडल के फैसले पर मीडिया ब्रीफिंग में) दी गई वह उनके सक्रिय परामर्श के साथ तैयार किया गया।’’
अनुशासन की सलाह दी
जेटली ने कहा, ‘‘भारतीय राजनीतिज्ञों के अनुशासन के लिहाज से, हमें ऐसे लोगों पर किस हद तक हमला करना चाहिए। जो कि सरकार में होने की वजह से अनुशासन के चलते जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। और अब यह एक से अधिक बार हो चुका है।’
एक संवाददाता द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या स्वामी जैसे लोगों पर लगाम नहीं कसी जानी चाहिए, जेटली ने जवाब दिया आपके सुझाव के लिए धन्यवाद।
कांग्रेस ने कहा था जेटली पर है ये निशाना
जहां कांग्रेस ने कहा है कि स्वामी का वास्तविक लक्ष्य जेटली हैं, आईटी और दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस पर कहा कि अरण जेटली की ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता। उनकी पारदर्शिता तथा ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता।